अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर जो कड़ा रुख अपनाया है उससे ड्राईफ्रूट अखरोट, बादाम सहित करीब 29 अमेरिकी उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने से इनके दाम जरूर बढ़ जाएंगे, लेकिन देसी उत्पादकों, व्यापारियों और सरकारी खजाने को बहुत फायदा मिलेगा। ट्रेडर्स का कहना है कि इससे अवैध व्यापार बढ़ेगा और बहुत सारा अमेरिकी माल अफगानिस्तान और दूसरे देशों के जरिए बाजार में आएगा। इससे ग्राहकों की जेब पर भी चपत लगेगी और ऑर्गनाइज्ड बिजनेस भी खराब होगा। स्थानीय बाजारों में इसके संकेत मिलने लगे हैं। ड्राई फ्रूट्स के होलसेल हब खारी बावली में इंडो-अफगान चैंबर ऑफ कॉमर्स के जनरल सेक्रटरी विकास बंसल ने बताया, 'भारत ने यह कदम अमेरिकी कदम के जवाब में उठाया है, लेकिन यह किसी के हित में नहीं है। अब वही माल अफगान ओरिजिन के टैग से अटारी और दूसरे रूटों से भारत आएगा और स्मगलर मोटी कमाई करेंगे। लीगल ट्रेडर्स को चपत लगेगी।' उन्होंने बताया कि पिछले कुछ महीनों में अखरोट के व्यापार में यह दिखा है। हाई टैरिफ के चलते कश्मीरी अखरोट की डिमांड और बिक्री तो नहीं बढ़ी, अलबत्ता श्रीनगर और अटारी रूट से अमेरिकी अखरोट की अवैध आवक होती रही। पुलवामा के बाद ट्रेड रुकने से हालात बदले, लेकिन अटारी रूट से ऐसी गतिविधयां जारी रही हैं। अब इसमें और तेजी आएगी।
भारत ने पाकिस्तानी उत्पादों पर पहले ही कस्टम ड्यूटी बढ़ा रखी है, लेकिन अफगान ओरिजिन व्यापार सामान्य दरों पर होता रहा है। खारी बावली में 90 फीसदी बादाम अमेरिका के कैलिफोर्निया से आता है। इम्पोर्टर विजय प्रकाश अरोड़ा ने बताया कि हालांकि अखरोट के मुकाबले बादाम पर टैरिफ कम बढ़ा है और ऐलान के बाद भी सरकार महीनों टालती आई थी। लेकिन इससे बिजनेस में भारी उथल-पुथल रही है। भारत में सालाना करीब 70 करोड़ डॉलर का बादाम कैलिफोर्निया से आता है। लेकिन अब औने-पौने दामों पर यही माल अफगानिस्तान, ईरान, ऑस्ट्रेलिया, अन्य एशियाई देशों से यहां आएगा। हालांकि त्योहारों पर भारी डिमांड के चलते हम महंगी ड्यूटी पर भी माल मंगाएंगे, लेकिन अवैध व्यापार के आगे बाजार में टिकना मुश्किल होगा। ट्रेडर्स का कहना है कि यही वजह है कि कई बार भारी टैरिफ के बावजूद रिटेल बाजारों में माल उतना महंगा नहीं दिखता, जितने की उम्मीद होती है। लेकिन वह वैध व्यापार और रेवेन्यू की कीमत पर आता है। स्थानीय बाजार में बीते एक साल में अखरोट और बादाम की कीमतों में 30 तक की तेजी दर्ज की गई है, लेकिन अब ड्यूटी 120 प्रतिशत तक बढ़ने के बाद रेट इसी अनुपात में बढ़ सकते हैं।
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भारतीय निर्यात पर अमेरिकी सख्ती के विरोध से नहीं मिलेगा लाभ