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वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति होगी तो एक-दो हाईकोर्ट से ही भर जाएगा सुप्रीम कोर्ट : गोगोई

वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति होगी तो एक-दो हाईकोर्ट से ही भर जाएगा सुप्रीम कोर्ट : गोगोई

नई दिल्ली । भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि यदि न्यायाधीशों की नियुक्ति अखिल भारतीय वरिष्ठता के आधार पर की जाएगी तो एक-दो हाईकोर्टों के जजों से ही सुप्रीम कोर्ट भर जाएगा। कॉलेजियम की सिफारिश पर सरकार द्वारा इस आधार पर आमतौर पर जताई जाने वाली आपत्ति पर सवाल उठाते हुए उन्होंने यह बात कही। न्यायमूर्ति गोगोई, जो एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर से कनिष्ठ थे, अपनी आत्मकथा ‘जस्टिस फॉर द जज’ में लिखा है कि उन्होंने एक कनिष्ठ के रूप में न्यायमूर्ति लोकुर के साथ शीर्ष अदालत में एक पीठ की अध्यक्षता की। 
उन्होंने लिखा यह थोड़ा आश्चर्यजनक लग सकता है कि मैं न्यायमूर्ति लोकुर के समक्ष एक हाईकोर्ट का न्यायाधीश और एक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनसे कनिष्ठ होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बन गया। इस तरह के घटनाक्रम निश्चित रूप से होते हैं। एक संघीय न्यायालय होने के नाते, उपयुक्तता के अधीन सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिनिधित्व सभी राज्यों को दिया जाना है। 
पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा यदि सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति विशुद्ध रूप से अखिल भारतीय वरिष्ठता के आधार पर की जानी है, तो सुप्रीम कोर्ट एक या दो उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों से भरा जा सकता है। न्यायमूर्ति गोगोई की आत्मकथा का विमोचन उनके उत्तराधिकारी और पूर्व प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने यहां एक समारोह में किया। इसमें कॉलेजियम से संबंधित विभिन्न मुद्दों और फैसलों का जिक्र है। न्यायमूर्ति गोगोई ने अपनी आत्मकथा में कहा है कि उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप कुछ खास अज्ञात वर्गो द्वारा सीजेआई के कामकाज को ‘खतरे में डालने’ का प्रयास था और इसकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बहुत संक्षिप्त थी तथा असल में कोई सुनवाई नहीं हुई। बीस अप्रैल, 2019 को इन रे: मैटर ऑफ ग्रेट पब्लिक इम्पोर्टेंस टचिंग ऑन द इंडिपेंडेंस ऑफ द ज्यूडिशियरी नामक एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई के लिए गठित एक विशेष पीठ का हिस्सा होने के लिए पूर्व सीजेआई की आलोचना की गई थी। 
न्यायमूर्ति गोगोई ने अपनी आत्मकथा के विमोचन के मौके पर कहा उन्हें इस मामले की सुनवाई के लिए पीठ का हिस्सा नहीं बनना चाहिए था। उन्होंने कहा कि हम सभी गलतियां करते हैं और इसे स्वीकार करने में कोई बुराई नहीं है। उन्होंने कहा कि आखिरकार, मुझे उस पीठ में न्यायाधीश नहीं होना चाहिए था, जिसने उनके खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई की थी। बार और पीठ में मेरी 45 साल की मेहनत खराब हो रही थी। मैं पीठ का हिस्सा नहीं होता तो शायद अच्छा होता। हम सभी गलतियां करते हैं। इसे स्वीकार करने में कोई बुराई नहीं है। 
सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मचारी ने 2019 में उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित की। बाद में न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की एक आंतरिक समिति ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी।
 

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