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कबाड़ियों की हुई चांदी, बांस के खंभे, तिरपाल, प्लास्टिक और लकड़ियां इकट्ठा करने में जुटे 

कबाड़ियों की हुई चांदी, बांस के खंभे, तिरपाल, प्लास्टिक और लकड़ियां इकट्ठा करने में जुटे 

नई दिल्ली । एक वर्ष के लंबे किसान आंदोलन के बाद शनिवार को प्रदर्शनकारी किसानों के घर लौटने के बाद सिंघू बॉर्डर पर कबाड़ी बांस के खंभे, तिरपाल, प्लास्टिक और लकड़ियां इकट्ठा करने में जुटे हुए है। सोनीपत के कुंडली में सिंघू बॉर्डर पर हरियाणा की तरफ करीब पांच किलोमीटर लंबी सड़क पर किसानों पर धरना प्रदर्शन था,जहां अस्थायी ढांचे खड़े कर रखे थे।इसमें प्रसाधन कक्ष और रसोई घर सहित आवास सुविधा भी थी। सुबह से ही झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोग और कबाड़ी बांस के खंभे, तिरपाल, लकड़ियां, प्लास्टिक और लोहे की छड़े चुनने में लगे रहे और वे उन्हें वापस अपने घर ले गए।उसमें से कुछ को पंजाब लौट रहे प्रदर्शनकारियों ने कंबल, ऊनी कपड़े, पैसे एवं रोजाना उपयोग के अन्य सामान भी दिए। मूल रूप से असम के रहने वाला कबाड़ी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ प्लास्टिक शीट इकट्ठा करता हुआ दिखा।कबाड़ी ने बताया कि मैं इन्हें बेच दूंगा। हमें यहां लंगर में भोजन मिलता था लेकिन अब यह खत्म हो गया है। पास में ही बच्चों का समूह बांस के खंभे, प्लास्टिक के टुकड़े और अन्य सामान इकट्ठा करने में व्यस्त था।एक अन्य कबाड़ी ने कहा, सरदार जी से मुझे एक कंबल मिला।कुंडली में कई कारखाने हैं, बड़े गोदाम और वर्कशॉप हैं, जहां बिहार, उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों के हजारों प्रवासी मजदूर काम करते हैं।
 

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