नई दिल्ली । यूएई में होने वाले अंडर-19 एशिया कप में भारत की कप्तानी करने जा रहे यश ढुल का यहां तक का सफर कठिन रहा है। यश को यहां तक पहुंचान में उनके परिवार का बड़ा त्याग रहा है। यहां तक कि उनके पिता ने पक्की नौकरी तक छोड़ दी थी। यश का जब करियर शुरू हुआ था तब वह अंडर-16 में दिल्ली की कप्तानी करते हुए बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे। तब उनके पिता से कहा गया कि उन्हें अगर अपने बेटे को क्रिकेटर बनाना है तो कुछ समझौते भी करने होंगे। जिससे वह इधर-उधर जाने की जगह खेल पर ही ध्यान लगाये। इसके बाद यश के पिता ने अपनी नौकरी छोड़ दी और वह उसकी सहायता करने लगे। यश के लिए उसके पिता सबसे बेहतर किट लेकर आये। उसके लिए वह बेहतर बल्ले लाते रहे। इस दौरान उनका घर यश के दादा की पैंशन से चल रहा था। यश को हमेशा लगता था कि परिवार किस प्रकार उसके लिए यह सब कर रहा है।
पिता स्वयं छत पर यश को बल्लेबाजी का अभ्यास कराते थे। 11 साल की उम्र में बाल भवन स्कूल की एकेडमी में जाने से पहले उन्हें भारती कॉलेज में एक लोकल क्रिकेट एकेडमी में ले जाया गया। 12 साल की उम्र में यश ने अंडर-14 में दिल्ली टीम का प्रतिनिधित्व किया था। तब परिवार को एहसास हुआ कि वह सही रास्ते पर है और क्रिकेट में उसका करियर सुरक्षित है। यश की क्रिकेटर बनने की इच्छा और महत्वाकांक्षा को ही परिवार ने अपना लक्ष्य बना लिया था। आज जब उन्हें भारत की अंडर-19 टीम का कप्तान बनाया गया है, तो यश को पुराने दिन याद आ रहे हैं। उन्होंने कहा, बहुत सी बातें तो मुझे याद नहीं लेकिन जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो तो मेरे सपने को पूरा करने के लिए परिवार को बेहद कठिन समय देखना पड़ा। उन्होंने मेरे लिए काफी कुछ सहा है पर अब लगता है कि परिवार का संघर्ष धीरे-धीरे में सफलता में बदल रहा है। यश जल्द ही नेशनल क्रिकेट एकेडमी में इंडिया अंडर-19 टीम के कैंप में शामिल होने के लिए बेंगलुरू जाएंगे।
स्पोर्ट्स
अंडर-19 कप्तान यश को क्रिकेटर बनाने परिवार ने कई किये त्याग