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 कुंडली बॉर्डर से किसानों का आखिरी जत्था भी अपने घरों के लिए रवाना  -आंदोलन में शहीद 734 साथियों की याद में जलाईं मोमबत्तियां, दी श्रद्धांजलि

 कुंडली बॉर्डर से किसानों का आखिरी जत्था भी अपने घरों के लिए रवाना  -आंदोलन में शहीद 734 साथियों की याद में जलाईं मोमबत्तियां, दी श्रद्धांजलि

सोनीपत। किसान आंदोलन स्थगित होने के बाद किसानों ने आंदोलन स्थलों को लगभग खाली कर दिया है। रविवार शाम को सोनीपत कुंडली बॉर्डर से किसानों का आखिरी जत्था अपने घरों के लिए रवाना हो गया। इसके साथ ही कुंडली बॉर्डर को किसानों ने पूरी तरह से खाली कर दिया है। सोनीपत कुंडली क्षेत्र में लगे टेंट और झोपड़ियों को किसानों ने खुद ही हटा दिया है। रवानगी से पहले किसान आंदोलन में शहीद हुए 734 किसानों की याद में मोमबत्तियां जलाई गईं। साथ ही कहा कि शहीद किसानों की कुर्बानी को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। कुंडली-सिंघु बॉर्डर पर किसानों के लिए अस्पताल चला रहे पंजाब के लोगों ने रवाना होने से पहले शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दी।
  पंजाब के पटियाला निवासी भरपूर सिंह ने बताया कि कुंडली-सिंघु बॉर्डर पर किसान मजदूर एकता के नाम से लाइफ केयर सोसायटी द्वारा अस्पताल चलाया जा रहा था। 11 दिसंबर को यहां से किसानों का मोर्चा जा चुका है। जब तक बॉर्डर पर आखिरी किसान मौजूद है, वह यहां रूकेंगे। अब जबकि किसान जा चुके हैं तो उन्होंने अपना सामान समेट लिया है। इससे पहले शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई है। उन्होंने बताया कि किसान आंदोलन में अब तक तक कुल 734 किसान शहीद हुए हैं। जिसमें कल हादसे का शिकार हुए दो किसान भी शामिल हैं। ऐसे में उन्होंने सभी शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए अस्पताल स्थल पर 734 मोमबत्ती जलाई हैं। किसानों ने कहा कि यह उन किसानों के लिए जलाई गई हैं, जिन्होंने इस आंदोलन में अपनी आहुति दी है और बलिदान देकर आंदोलन को विजई बनाया है। मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान, 3 केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में और इन कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर पिछले साल 26 नवंबर को बड़ी संख्या में दिल्ली की सीमाओं पर एकत्र हुए थे। संसद में गत 29 नवम्बर को इन कानूनों को निरस्त करने तथा बाद में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी के लिए एक पैनल गठित करने सहित विभिन्न मांगों के सरकार द्वारा मान लिये जाने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की थी। किसान नेताओं के अनुसार, सिंघू सीमा स्थल को 95 प्रतिशत से अधिक खाली कर दिया गया है। रविवार को किसान समूहों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा सफाई अभियान शुरू किया गया है।
 

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