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भाजपा से मुकाबले के लिए एकजुटता जरूरी, पवार को सौंपी जा सकती है ममता को मनाने की जिम्मेदारी  -सोनिया गांधी के आवास पर हुआ विपक्षी दलों का मंथन 

भाजपा से मुकाबले के लिए एकजुटता जरूरी, पवार को सौंपी जा सकती है ममता को मनाने की जिम्मेदारी  -सोनिया गांधी के आवास पर हुआ विपक्षी दलों का मंथन 

नई दिल्ली । राष्ट्रीय राजधानी में विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक हुई। बैठक में सभी विपक्षी दलों के नेता मौजूद रहे, टीएमसी सुप्रीमो ममता बैनर्जी आमंत्रित नहीं की गई थीं। विपक्षी दलों की यह अहम बैठक अगले माह देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए विपक्ष की एकता पर ही केंद्रित रही। बैठक में वक्ताओं ने इस मुद्दे पर ममता बनर्जी को समझाने का प्रयास करने का सुझाव दिया। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि जिस राज्य में जिस विपक्षी दल का ज्यादा प्रभाव है, उसे ही नेतृत्व सौंपा जाए। बैठक में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला, शिवसेना नेता संजय राउत, डीएमके सांसद टीआर बालू, कांग्रेस के नेता मलिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल, और राहुल गांधी जैसे नेताओं ने हिस्सा लिया।
बैठक के बाद शिवसेना सांसद संजय राउत ने बताया कि बैठक में विपक्ष की एकजुटता पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा संसद में चल रही कार्यवाही पर भी हमने चर्चा की, हम माफी नहीं मांगेंगे। विपक्ष की एकता पर हमने बात की और हम राज्यों में मिलकर काम करेंगे। बैठक के बाद डीएमके सांसद टीआर बालू ने कहा, हमने राज्यसभा से सांसदों के निलंबन पर चर्चा की। वहीं, फारुख अब्दुल्ला ने बताया कि हमने राष्ट्र की वर्तमान स्थिति के बारे में चर्चा की। हमने यह समझने की कोशिश की कि हम कैसे एक साथ काम करते हुए राष्ट्रहित में कैसे आगे बढ़ सकते हैं। 
सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई की ममता बनर्जी को संयुक्त विपक्ष के साथ आने के लिए समझाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि हाल के दिनों में टीएमसी नेता ममता बैनर्जी, कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठन (यूपीए) के स्थान पर विपक्षी दलों का एक नया गठबंधन बनाने का प्रयास कर रही हैं। इस वजह से कांग्रेस से उनके रिश्ते तल्ख हो गए हैं। 
विभिन्न क्षेत्रीय दलों का समर्थन हासिल करने के लिए ममता इन दिनों देश के विभिन्न राज्यों का दौरा कर अपने नेतृत्व वाले विपक्षी धड़े को समर्थन देने का आग्रह कर रही हैं। पिछले दिनों मुंबई में शरद पवार से मिलने के बाद उन्होंने कहा था कि अब कोई यूपीए नहीं है। उन्होंने सीधे तो नहीं, लेकिन इशारों में स्पष्ट कर दिया था कि अब वह अब कांग्रेस के बिना विपक्षी दलों के बीच एकता बनाने का प्रयास कर रही हैं। विपक्षी दल ममता के बगावती तेवरों से चिंता में पड़ गए हैं। उनका मानना है कि भाजपा से मुकाबले के लिए संयुक्त विपक्ष की जरूरत है, इसमें ममता बैनर्जी के तेवर बाधा बन रहे हैं। बैठक में कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि ममता बनर्जी को वास्तविक स्थिति समझाने का प्रयास किया जाए। सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष का कोई बड़ा नेता जल्द ही ममता बनर्जी से इस मुद्दे पर बातचीत कर सकता है। सूत्रों के अनुसार शरद पवार को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। ममता विपक्षी एकता की हामी हैं, लेकिन वह चाहती हैं कि इसका नेतृत्व सोनिया की जगह वह करें। ममता बनर्जी के चुनावी सलाहकार प्रशांत किशोर ने भी पिछले दिनों कहा था कि विपक्षी एकता का नेतृत्व करना किसी एक पार्टी का अधिकार नहीं है। ममता की जिद की वजह से विपक्षी दल दो खेमों में विभाजित हो गए हैं। 
 

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