मुम्बई । भारतीय क्रिकेट में पिछले कुछ समय से एक के बाद एक विवाद उठे हैं। भारतीय क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली और मुख्य कोच राहुल द्रविड़ के एकसाथ आने से लग रहा था कि यह थम जाएगा पर ऐसा नजर नहीं आ रहा है। हर दिन नये-नये प्रकार के विवाद सामने आ रहे हैं जिससे बीसीसीआई के साथ ही टीम प्रबंबन भी परेशान है। इससे टीम का प्रदर्शन प्रभावित होने के साथ ही खेल की छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। बीसीसीआई के लिए यह तस्वीर अच्छी नहीं। गांगुली का प्रशासन अच्छा रहा है। राहुल द्रविड़ का व्यवहार सबको साथ लेकर चलने का है। हर टीम प्रबंधन की सोच अलग होती है। वह टीम को अपनी सोच और रणनीति के हिसाब से आगे बढ़ाना चाहते हैं। इसके बाद भी गांगुली, राहुल और रोहित के सुर अलग नजर आ रहे हैं। इससे युवा खिलाड़ियों में भी संशय फैल रहा है। इससे टीम में खेमेबाजी और गुटबाजी पनपने का भी खतरा है।
यह सही है कि टीम इंडिया बदलाव के दौर से गुजर रही है, पर बार बदलाव आसान नहीं होता। विराट कोहली और रोहित शर्मा के साथ यही हुआ। इसकी शुरुआत पूर्व कोच रवि शास्त्री के कोचिंग कार्यकाल समाप्त होने से हुई। विराट के इस घोषणा के साथ कि वह टी20 वर्ल्ड कप के बाद इस फॉर्मेट में टीम की कप्तानी नहीं करेंगे। इसे बाद बीसीसीआई ने अचानक ही विराट की जगह दक्षिण अफ्रीका सीरीज पर रोहित शर्मा को एकदिवसीय सीरीज की कप्तानी दे दी। इसको लेकर तर्क दिया गया था कि टी20 और एकदिवसीय के अलग-अलग कप्तान नहीं हो सकते। गांगुली ने इस मामले में कोहली से बात की थी। गांगुली ने कहा कि उन्होंने खुद विराट से बात कर उन्हें टी-20 की कप्तानी नहीं छोड़ने के लिए कहा था, लेकिन वह माने नहीं। इसके बाद चयनसमिति को लगा कि एकदिवसीय और टी-20 में दो अलग कप्तान ठीक नहीं। फैसला लिया गया कि कोहली के स्थान पर रोहित को ही यह जिम्मेदारी सौंपी जाए। गांगुली ने कहा कि इस बारे में विराट से बात कर ली गई थी।
कायदे से यहां विवाद समाप्त हो जाना चाहिए था, लेकिन इसके बाद घटनाक्रम तेजी से बदले। सोमवार को खबर आई कि रोहित दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज में नहीं खेलेंगे। उनके हैमस्ट्रिंग में चोट है। बात और बिगड़ी जब कोहली के वनडे सीरीज से हटने की बात सामने आने लगी। कहा गया कि कोहली अपनी बेटी के पहले जन्मदिन में शामिल होना चाहते हैं। इसपर पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने भी कहा कि कोहली के आराम से कोई तकलीफ नहीं है लेकिन टाइमिंग एक बड़ा मुद्दा है। खबरें आने लगीं कि दोनों, विराट और रोहित, एक-दूसरे की कप्तानी में नहीं खेलना चाहते हैं। सोशल मीडिया पर साजिशों के कयास लगने लगे। कोई विराट के साथ अन्याय की बात करने लगा तो कोई रोहित के साथ खड़ा नजर आया। बोर्ड की तरफ से खबरें पूरी तरह साफ नहीं हो पा रही थीं। कप्तान और बोर्ड एक पेज पर नहीं दिख रहे थे। और कम से कम मीडिया में ऐसी ही खबरें आ रही थीं।
वहीं इसके बाद कोहली ने कई ऐसी बातें कहीं जिनसे विवादों को और हवा मिली। कोहली ने कहा, 'मैं वनडे के लिए चयन के लिए उपलब्ध हूं। कुछ चीजें जो अतीत में सामने आईं कि मैं कार्यक्रमों में शामिल हो रहा था, ऐसी चीजें विश्वसनीय नहीं हैं। टेस्ट टीम के चयन से डेढ़ घंटे पहले मुझसे संपर्क किया गया और पांच 5 चयनकर्ताओं ने बताया कि मैं वनडे टीम की कप्तानी नहीं करूंगा।' अब यह बात गांगुली की उस बात से कुछ अलग है जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने खुद और चयन समिति के प्रमुख चेतन शर्मा ने रोहित को वनडे कप्तान बनाने से पहले उनसे बात की थी। बोर्ड और चयन पैनल की ओर से उन्हें सारी तस्वीर समझाई गई थी। अब असल बात क्या है यह तो बोर्ड और कोहली ही जानते हैं लेकिन यह जो भी हुआ इसे आराम से निपटाया जा सकता था। इससे पहले बोर्ड ने अनिल कुंबले के कोचिंग कार्यकाल के समाप्त होते वक्त विवादों का सामना किया था। उम्मीद है कि इस बार भी बेहतर तरीके से समाधान होगा।
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गांगुली और द्रविड़ भी नहीं साध पा रहे टीम इंडिया के दिग्गजों को