नई दिल्ली । नीट पीजी की काउंसलिंग जल्द कराने की मांग को लेकर रेजिडेंट डॉक्टरों ने एक बार फिर शुक्रवार से हड़ताल शुरू कर दी है। इस दौरान दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं बंद रखी गईं। इससे गंभीर रूप से बीमार मरीजों को भी अस्पताल में इलाज नहीं मिल सका। दिल्ली के लोकनायक, जीटीबी, जीबी पंत, सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया, लेडी हार्डिंग के कलावती सरन और सुचेता कृपलानी अस्पताल में लगभग सात हजार रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर रहे। स्वास्थ्य सेवाएं बहाल रखने के लिए वरिष्ठ डॉक्टरों को इमरजेंसी में तैनात किया गया था, लेकिन शुक्रवार को बहुत कम डॉक्टर नजर आए। दरअसल, नीट पीजी काउंसलिंग का पूरा मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट की ओर से इस मसले की अगली सुनवाई छह जनवरी को होनी है। लेकिन, डॉक्टरों का विरोध पिछले एक महीने से चल रहा है। बीते छह दिसंबर को जब दिल्ली के अस्पतालों में हड़ताल शुरू हुई थी तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने वकील के जरिए कोर्ट में सुनवाई को प्राथमिकता देने की अपील करते हुए डॉक्टरों से कुछ समय मांगा था। इसलिए नौ दिसंबर को डॉक्टरों ने एक सप्ताह के लिए हड़ताल स्थगित कर दी थी। लेकिन बीते बुधवार को फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने देर रात बयान जारी करते हुए 17 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी। डॉक्टर इसलिए हड़ताल कर रहे हैं क्योंकि अबतक नीट पीजी की काउंसलिंग नहीं हो सकी है, जबकि रिजल्ट आए काफी वक्त बीत चुका है। डॉक्टरों का नया समूह इस वजह से अस्पताल में बतौर पीजी ज्वॉइन नहीं कर पा रहा है। इसका असर मरीजों के अलावा वहां काम कर रहे अन्य रेजिडेंट के काम पर भी पड़ रहा है। हड़ताल कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि हमारी कोई नहीं सुन रहा। कोरोना की तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है, ऐसे में नए डॉक्टरों की भर्ती न होने से फिर दूसरी लहर जैसे हालात बन सकते हैं। ऐसे में वे जल्द काउंसलिंग की मांग कर रहे हैं। पिछले सप्ताह भी डॉक्टरों ने हड़ताल की थी और सरकार को काउंसलिंग के लिए एक हफ्ते का समय दिया था, लेकिन एक हफ्ते बाद भी काउंसलिंग नहीं हुई।
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कई बड़े अस्पतालों में बंद हैं इमरजेंसी सेवा भटकने को मजबूर मरीज