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सूरज की तरह से धरती पर प्रचंड गर्मी पैदा करेंगे वैज्ञा‎निक -सूरज की गर्मी से दोगुना रहेगा तापमान

सूरज की तरह से धरती पर प्रचंड गर्मी पैदा करेंगे वैज्ञा‎निक -सूरज की गर्मी से दोगुना रहेगा तापमान

लंदन । वैज्ञानिक सूरज की तरह से धरती पर प्रचंड गर्मी पैदा करने जा रहे हैं। दक्षिणी इंग्‍लैंड में एक छोटा सा रेलवे कस्‍बा है जो इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने जा रहा है। यहीं पर न्‍यूक्लियर फ्यूजन शुरू होने जा रहा है। यहां पर 5 करोड़ डिग्री सेल्सियस तापमान एक छोटे से कमरे में पैदा किया जाएगा जो सूरज की गर्मी से दोगुना है। इस महाप्रयोग के लिए वैज्ञानिक पिछले कई दशकों से इंतजार कर रहे थे।
 ब्रिटेन के ऑक्‍सफोर्डशायर इलाके में वैज्ञानिक प्रयोग के दौरान न्‍यूक्लियर फ्यूजन प्रक्रिया के जरिए बड़े पैमाने पर लो कॉर्बन एनर्जी पैदा करेंगे। वैज्ञानिक पिछले कई दशकों से ऐसा करने का प्रयास कर रहे थे लेकिन उन्‍हें सफलता नहीं मिल रही थी। अब डिडकोट इलाके में स्थित एक प्राइवेट कंपनी टोकामैक एनर्जी अपने परमाणु रिएक्‍टर को 5 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक फायर करने जा रही है। यह सूरज के मूल तापमान का लगभग दोगुना है। वैज्ञानिकों का दल हाइड्रोजन एटम्‍स को एक करने के लिए दबाव डालेगा जिससे हीलियम पैदा किया जा सके। यह नाभिकीय संलयन बल ठीक उसी तरह से है जो सूरज को ऊर्जा देता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस महाप्रयोग के बाद ब्रिटिश कस्‍बा सोलर सिस्‍टम का नया केंद्र नहीं बन जाएगा बल्कि इससे भविष्‍य में यहां से सस्‍ती और साफ ऊर्जा की आपूर्ति हो सकेगी। 
टोकामैक एनर्जी के सीईओ क्रिस केलसाल ने कहा, 'हम इसे कर दिखाएंगे। साफ और स्‍वच्‍छ ऊर्जा का जवाब जैसाकि हम कहते हैं, प्रकृति के पास है। हमें उस रास्‍ते की तलाश करनी होगी, जिसके जरिए सुरक्षित हल तलाश किया जा सके। इसे तलाश किया जाएगा।' एक रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिक इतने ज्‍यादा तापमान पर यह प्रयोग इ‍सलिए करने जा रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्‍या न्‍यूक्लियर फ्यूजन जितना ऊर्जा इस्‍तेमाल करता है, उससे ज्‍यादा ऊर्जा पैदा कर सकता है या नहीं। इस पूरी प्रक्रिया को एक 'टोकामैक' डिवाइस के अंदर किया जाएगा जिसके अंदर शक्तिशाली मैग्‍नेटिक फील्‍ड बना हुआ है ताकि चक्‍कर काट रही हाइड्रोजन गैसों को रोका जा सके। यह बहुत ज्‍यादा गर्म प्‍लाज्‍मा को जहाज के किनारे को छूने से रोकेगा नहीं तो उसकी संपर्क में आने वाली हर चीज को यह गला देगी। अगर इस फ्यूजन रिएक्‍टर के अंदर कुछ गड़बड़ हुआ तो यह डिवाइस बंद हो जाएगा। इससे खगोलीय गर्मी के बाहर निकलने का कोई खतरा नहीं रहेगा। इस प्रयोग के दौरान प्‍लाज्‍मा को सूरज के तापमान से 10 गुना ज्‍यादा गर्म होना होगा। इससे हाइड्रोजन के दो नूक्लीअस नाभिकीय संलयन करके हीलियम का एक नूक्लीअस बन जाएंगे।वहीं नाभिकीय विखंडन अपने आप में बहुत खतरनाक होता है।
 इसके तहत एक भारी एटम का विखंडन करके दो बनाया जाता है। इस तोड़ने की प्रक्रिया के दौरान बड़े पैमाने पर ऊर्जा निकलती है। यही नहीं विशाल मात्रा में रेडियो एक्टिव अपशिष्‍ट पदार्थ भी इस प्रक्रिया के दौरान‍ निकलता है। यह रेडियो एक्टिव कचड़ा कई सालों तक खतरनाक बना रहता है। यही नहीं नाभिकीय संलयन में उस तरह का चेन रिएक्‍शन नहीं होता है जैसाकि साल 1986 में चेर्नोबिल हादसे के दौरान हुआ था। यही नहीं जिस जगह पर यह रिएक्‍टर के अंदर प्रयोग होने जा रहा है, वहां किसी को हटाए जाने की भी जरूरत नहीं होगी। वैज्ञानिक अभी यह खुद से भी सवाल कर रहे हैं कि परमाणु संलयन कब एक ऊर्जा का सक्षम स्रोत होगा। कंपनी के भौतिकविद डॉक्‍टर हन्‍ना विल्‍लेट कहते हैं कि यह बहुत क‎ठिन है। हमें इस प्रक्रिया में जीवाश्‍म ईधन की तुलना में बहुत ज्‍यादा ऊर्जा मिलती है। यदि यह प्रयोग सफल रहा तो छोटे-छोटे कई सूरज धरती पर बनाए जा सकेंगे। मालूम हो ‎कि सूरज अपनी प्रचंड गर्मी की मदद से किसी भी चीज को जलाकर राख करने की ताकत रखता है। सूरज से निकलने वालीं सौर लपटें धरती के चक्‍कर लगा रहे सैटलाइट को पलभर में खाक कर सकती हैं। 
 

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