चंडीगढ़ । पवित्र धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी मामलों में दोषियों को सख्त सजा देने के लिए पंजाब सरकार की ओर से कुछ विधेयक विधानसभा में पारित किए जा चुके हैं। लेकिन ये सभी विधेयक अक्टूबर 2018 से मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास लंबित हैं। इन बिल को पंजाब के राज्यपाल की तरफ से 12 अगस्त, 2018 को मंजूरी दी गई थी। इन बिलों को स्वीकृति दिलाने की पंजाब सरकार को अब याद आई है। ऐसा पंजाब के अमृतसर दरबार साहिब और कपूरथला के निजामपुर में बेअदबी की घटनाओं में 2 युवकों की मॉब लिंचिंग के बाद हुआ है।
पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने अब इन बिल को स्वीकृति प्रदान करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। पंजाब विधानसभा ने ‘इंडियन पीनल कोड (पंजाब संशोधन) बिल, 2018 और द कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (पंजाब संशोधन) बिल 2018 पारित किया है। इसमें लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से श्री गुरु ग्रंथ साहिब, गीता, पवित्र कुरान और पवित्र बाइबल की बेअदबी, किसी को चोट या नुकसान पहुंचाने वाले के लिए उम्रकैद तक की कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। यह बिल केंद्र सरकार और राष्ट्रपति के पास लंबित पड़ हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री को लिखे पत्र में उप मुख्यमंत्री रंधावा ने कहा है कि पंजाब में पवित्र ग्रंथों की बेअदबी एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है, ‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को सिखों की तरफ से एक जीवित गुरु माना जाता है, न कि कोई वस्तु। सिख मर्यादा अनुसार श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को सम्मान किया जाता है। इस संदर्भ में यह महसूस किया गया कि आईपीसी की धारा 295 और 295-ए की मौजूदा धाराएं जिसमें तीन साल तक की सजा की व्यवस्था है, इस स्थिति से निपटने के लिए काफी नहीं हैं।’उप मुख्यमंत्री ने आगे कहा है कि पंजाब सरहदी राज्य होने के कारण यहां भाईचारा बनाए रखना बेहद जरूरी है, इसलिए बेअदबी की घटनाओं को अंजाम देकर सांप्रदायिक सद्भावना को भंग करने की कोशिश करने वालों के लिए सख्त सजा लाजिमी है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अपील की है कि उक्त बिलों के लिए राष्ट्रपति की सहमति जल्द से जल्द प्राप्त की जाए और राज्य सरकार को सौंप दी जाए।
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बेअदबी पर उम्रकैद के कानून को राष्ट्रपति तुरंत दें मंजूरी -पंजाब सरकार ने की राष्ट्रपति कोविंद से की मांग