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 होल्डिंग ने नस्लवाद और भेदभाव के खिलाफ अभियान में शामिल होने कहा 

 होल्डिंग ने नस्लवाद और भेदभाव के खिलाफ अभियान में शामिल होने कहा 

लंदन । हाल के दिनों में जिस प्रकार इंग्लैंड के काउंटी क्रिकेट में नस्लवाद और भेदभाव के मामले सामने आये हैं। उसको लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए अब वेस्टइंडीज़ के पूर्व क्रिकेटर माइकल होल्डिंग ने कहा है कि इस मामले में अधिक से अधिक क्रिकेटरों को सामने आकर भेदभाव का विरोध करना चाहिये। होल्डिंग ने साथ ही कहा कि लोकप्रिय और सम्मानित हस्तियां को भी रंगभेद और नस्लवाद को हटाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना चाहिये।। 
होल्डिंग ने पूछा, 'अगर लोकप्रिय हस्तियों के पास एक मंच है और जो लोगों तक पहुंचने में सक्षम हैं, अगर वह कुछ नहीं करेंगे तो कौन करेगा? ऐसे खिलाड़ी हैं जो पूरी दुनिया में जाने-जाते हैं। अगर वे लोग इस प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए प्रयास करेंगे तो जरुरी सफलता मिलेगी क्योंकि उन्हें दुनिया भर के लोग सुनना चाहेंगे। इसी लिए एक मंच वाले लोग, एक नाम वाले लोग, दुनिया भर में पहचाने जाने वाले लोगों को उन चीजों के बारे में बात करने की ज़रूरत है जो उन्हें प्रभावित करती हैं और सही नहीं है।' 
समाज में बदलाव लाने के लिए होल्डिंग लगातार नस्लवाद सहित हर प्रकार के भेदभाव के खिलापफ आवाज उठाते रहे हैं। होल्डिंग ने एक किताब भी प्रकाशित की है जिसमें खेल में नस्लवाद के बारे में बताया गया है और इसमें कई हाई प्रोफाइल ब्लैक एथलीटों का योगदान है। उन्होंने कहा कि एथलीटों को खेल के मामलों में अपनी राय सीमित नहीं रखनी चाहिए। उन्होंर कहा,'जब वे मैदान या बास्केटबॉल कोर्ट छोड़ते हैं, तो उन्हें सामान्य जीवन जीने के लिए समाज में वापस जाना पड़ता है। यदि वे समाज से प्रभावित होते हैं, तो उन्हें बोलना पड़ता है और अपने मंच का उपयोग करना पड़ता है।' 
होल्डिंग ने यह भी कहा कि एक खतरा है कि हाल ही में काउंटी क्रिकेट में नस्लवाद के आरोपों को गंभीर नहीं माना गया, जबकि वह एक बड़ी सामाजिक समस्या है। होल्डिंग ने कहा, 'हम जानते हैं कि यह एक क्रिकेट समस्या है, क्योंकि यह अब क्रिकेट में हो रहा है। लेकिन इसे कम न समझें। केवल फुटबॉल या क्रिकेट में (नस्लवाद) की समस्या नहीं है। यह समाज की समस्या है और जिसे हमें ठीक करने की ज़रूरत है। इसके लिए हमें शुरुआत करने की ज़रूरत है। अगर हम स्वीकार कर सकते हैं कि यह समाज में है और इसे छोटे बक्से में रखने की कोशिश नहीं करते हैं, तो हम कहीं न कहीं किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं।' 
 

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