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 आरबीएल बैंक ने 300 करोड़ का दिया कर्ज, सात महीने में ही बैड लोन में बदला -रिजर्व बैंक ने की कड़ी कार्रवाई

 आरबीएल बैंक ने 300 करोड़ का दिया कर्ज, सात महीने में ही बैड लोन में बदला -रिजर्व बैंक ने की कड़ी कार्रवाई

नई दिल्ली । रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने मुंबई के आरबीएल बैंक के खिलाफ नियमों को उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की है। केंद्रीय बैंक ने क्रिसमस के दिन इस निजी बैंक में दो बड़े बदलाव किए थे। आरबीआई के चीफ जनरल मैनेजर योगेश दयाल को इस निजी बैंक के बोर्ड में एडिशनल डायरेक्टर बनाया गया था जबकि लंबे समय से बैंक के एमडी और सीईओ रहे विश्ववीर आहूजा को तत्काल छुट्टी पर भेज दिया। इससे बैंक के शेयरों में भारी गिरावट आई। लेकिन आरबीएल बैंक के खिलाफ आरबीआई की इस कार्रवाई की असली वजह अब सामने आई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक आरबीएल बैंक ने 300 करोड़ रुपए का लोन दिया और सात महीने में ही उसे बैड लोन में बदलकर बट्टे खाते में डाल दिया। सूत्रों के मुताबिक आरबीएल बैंक ने 2018 में एक कंपनी को लोन दिया था। यह बैंकों के एक कंसोर्टियम के रूप में दिया गया था।
आरबीआई पिछले कई महीनों से बैंक के रिस्क डिपार्टमेंट से लोन पोर्टफोलियो की डिटेल मांग रहा था। तत्काल यह साफ नहीं हो पाया था कि बैंक ने किस कंपनी को यह लोन दिया था। सूत्रों के मुताबिक आरबीआई ने किसी खास ट्रांजैक्शन को लेकर आपत्ति नहीं जताई थी लेकिन बोर्ड के सदस्यों को कुछ गड़बड़ लगा। उन्होंने इस बारे में आरबीआई से संपर्क साधा लेकिन उन्हें आरबीआई को योजना की भनक नहीं लगी। आखिर 24 दिसंबर को आरबीआई ने बैंक को जानकारी दी की उसने दयाल को बैंक के बोर्ड में नियुक्त कर दिया। इसके अगले दिन दयाल ने कहा कि अगर बैंक के एमडी विश्ववीर आहूजा अपने पद पर बने रहते हैं तो आरबीआई के पास बैंक के बोर्ड को भंग करने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाएगा। आहूजा को तत्काल छुट्टी पर भेज दिया गया। उनकी जगह एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राजीव आहूजा को अंतरिम एमडी और सीईओ बनाया गया है।
इस खबर के बाद आरबीएल का शेयर सोमवार को 20 फीसदी से अधिक टूट गया था। गुरुवार को भी इसमें गिरावट देखी जा रही है। 11.00 बजे यह 8.49 फीसदी की गिरावट के साथ 132.05 रुपए पर ट्रेड कर रहा था। एनालिस्ट्स का कहना है कि आरबीआई की कार्रवाई से बैंक में अनिश्चितता बढ़ेगी और स्टॉक पर शॉर्ट से मीडियम टर्म में नकारात्मक असर होगा। उनका कहना है कि दिसंबर, 2021 तिमाही का रिजल्ट बैंक और उसके शेयर में निवेशकों के भरोसे को बहाल करने के लिए अहम होगा।
 

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