कोलकाता । भारत के सबसे बड़े जूट उत्पादक प्रदेश पश्चिम बंगाल की जूट मिलों पर कच्चे माल की आपूर्ति का संकट छा रहा है। इससे कम से कम 10 जूट मिलें बंद हो गई हैं। आने वाले दिनों में कई और मिलें बंद हो सकती हैं। इन मिलों के बंद होने से करीब 20 हजार मजदूरों के रोजगार पर संकट के बादल छा गए हैं। बताया जाता है कि इन मिलों को सरकार द्वारा तय कीमत पर पटसन नहीं मिल पा रहा है। तय कीमत पर कच्चे जूट की खरीद में नाकाम रहने के बाद मिलें उत्पादन बंद करने लगी हैं। जूट उद्योग के सूत्रों के मुताबिक बुधवार तक कम-से-कम 10 जूट मिलें उत्पादन बंद कर चुकी हैं। आने वाले समय में कई और मिलों के बंद होने के हालात बनते दिख रहे हैं। इससे 15,000 से 20,000 कामगारों का रोजगार प्रभावित हुआ है।
हावड़ा स्थित हनुमान जूट मिल का संचालन करने वाली फर्म टेपकॉन इंटरनेशनल इंडिया लिमिटेड ने कच्चे जूट की उपलब्धता नहीं होने से अस्थायी तौर पर काम रोकने का नोटिस जारी किया है। इस तरह कई अन्य मिलें भी अस्थायी तौर पर काम बंद कर चुकी हैं। कुछ और मिलों पर भी कच्चे माल का संकट है। बताया जाता है कि कच्चे जूट की पर्याप्त खरीद नहीं होने से जूट बोरों के उत्पादन पर असर पड़ रहा है। इससे आने वाले समय में अनाज भंडारण के लिए इस्तेमाल होने वाले जूट-निर्मित बोरों की कमी हो सकती है। वैसे भी कई राज्यों में गेहूं की खरीद सिर्फ इसलिए प्रभावित होती है क्योंकि समय पर मंडियों में जूट की बोरी नहीं पहुंच पाती है। मिल मालिकों का कहना है कि उन्होंने घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुरूप कच्चे जूट का भाव बढ़ाकर 7,200 रुपए प्रति क्विंटल करने का सुझाव दिया था। मिल मालिकों के इस सुझाव को सरकार ने खारिज कर दिया था। केंद्र सरकार ने कच्चे जूट का भाव 6,500 रुपये प्रति क्विंटल पर ही बनाए रखने का फैसला किया था। जूट मिल मालिकों का कहना है कि पटसन किसान को इस भाव पर पैदा करने में कोई फायदा नहीं दिख रहा है। इसलिए किसान पटसन की बुवाई करने से बच रहे हैं। इससे जूट मिलों को पर्याप्त कच्चा माल नहीं मिल रहा है।
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पश्चिम बंगाल में कच्चे माल के अभाव में 10 जूट फैक्ट्रियां बंद -20 हजार मजदूरों के रोजगार पर संकट के बादल