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भाजपा ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपना अभियान तेज किया -73 सीटों पर होगा किसान फैक्टर, फिर भी मुकाबले में भाजपा

भाजपा ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपना अभियान तेज किया -73 सीटों पर होगा किसान फैक्टर, फिर भी मुकाबले में भाजपा

नई दिल्ली। तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के बाद भाजपा ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपना अभियान तेज कर दिया है। सीएम योगी ही में वेस्ट यूपी के कुछ जिलों में जन विश्वास रैली के लिए पहुंचे थे। अमित शाह जैसे दिग्गज नेता ने भी खुद इस इलाके की कमान संभाल ली है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पश्चिम यूपी की 73 सीटों पर आंदोलन वापसी के बाद भी किसान फैक्टर रहने वाला है। हालांकि इनमें भी भाजपा मुकाबले से बाहर नहीं है। यही नहीं कई सीटों पर तो वह इसके बाद भी विजय की स्थिति में है।
   पश्चिम यूपी के शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, हाथरस और आगरा जैसे कुल 15 जिलों की इन 73 सीटों में से कई पर भारतीय किसान यूनियन की मजबूत स्थिति है। पिछली बार भाजपा ने यहां से 61 सीटें जीतकर पूरे प्रदेश में 312 सीटें हासिल की थीं। इस बार मुकाबला उसके लिए कड़ा माना जा रहा है, लेकिन जानकारों की मानें तो ऐसा इनमें से हर जिले में नहीं होगा। यूपी की राजनीति की समझ रखने वालों का कहना है कि जाट बिरादरी की किसान आंदोलन के चलते नाराजगी की बात कही जा रही है, लेकिन कानून वापसी के बाद से अब तक कुछ लोगों की राय बदल चुकी है। जाट बिरादरी का ही एक वर्ग योगी सरकार को कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर ज्यादा नंबर दे रहा है। इसके अलावा किसान यूनियन का फैक्टर उन्हीं जिलों में भाजपा के खिलाफ असर दिखा रहा है, जहां जाटों के अलावा मुस्लिमों की भी पर्याप्त संख्या है। खासतौर पर मेरठ, गाजियाबाद, आगरा और हापुड़ जैसे जिलों में भाजपा को खास नुकसान होता नहीं दिख रहा है। इसकी वजह यह है कि इन जिलों में जाट और मुस्लिम बिरादरी की ज्यादा आबादी नहीं है। नुकसान की स्थिति वहां ज्यादा है, जहां जाट और मुस्लिम मिलकर 30 फीसदी से ज्यादा हैं। इन समीकरणों को देखते हुए ऐसा लगता है कि किसान आंदोलन के बाद भी भाजपा की स्थिति पश्चिम यूपी में उतनी कमजोर नहीं है, जितने दावे किए जा रहे थे। खासतौर पर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, जेवर एयरपोर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स के जरिए भाजपा ने अपनी पकड़ मजबूत की है। कई जिलों में स्थिति मुस्लिम बनाम हिंदू की देखने को मिलती है, जहां समीकरण बिगड़ते नहीं दिख रहे हैं। इनमें मेरठ और गाजियाबाद की कुछ सीटें शामिल हैं। ऐसे में पश्चिम यूपी में भाजपा को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता। 
 

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