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कितना घातक होगा कोरोना मार्च में दो लाख तक जा सकते हैं प्रतिदिन केस

कितना घातक होगा कोरोना मार्च में दो लाख तक जा सकते हैं प्रतिदिन केस

नई दिल्ली । भारत में एक बार फिर कोरोना मामलों ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है। साल के पहले दिन देश में 22,755 नए कोविड -19 मामले दर्ज किए गए। बीते साल 26 दिसंबर से कोरोना के दैनिक मामलों में वृद्धि हो रही है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि महामारी की तीसरी लहर पहले ही आ चुकी है और ओमिक्रॉन ने डेल्टा वैरिएंट की जगह लेना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि फरवरी या मार्च महीने में कोरोना केस अपने चरम पर हो सकते हैं, उस वक्त दैनिक मामले दो लाख के करीब तक हो सकते हैं। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की दस्तक के कुछ दिनों के भीतर देश में कोरोना मामलों ने एक बार फिर रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है। बीते साल 26 दिसंबर से कोरोना के दैनिक वृद्धि मामलों में बढ़ोत्तरी हुई थी। दिंसबर के मध्य में कोरोना केस 6,000 प्रतिदिन थे। लेकिन अचानक कोरोना मामलों में तेजी आई है। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सतर्क कर दिया है और कहा है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट के कारण भारत में कोरोना मामले बढ़ सकते हैं, इसलिए सभी को तैयार रहना होगा। तीसरी लहर को लेकर विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों के अलग-अलग अनुमान हैं। कोरोना की तीसरी लहर के संदर्भ में पूछे जाने पर नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने कहा कि यह लोगों और टीकाकरण कवरेज पर निर्भर करता है। एक प्रभावी रोकथाम रणनीति के माध्यम से ही कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोका जा सकता है, ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर की संभावना कम है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ओमिक्रॉन के कारण कोरोना केस बढ़ेंगे जरूर लेकिन यह डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले ज्यादा गंभीर नहीं है। कोरोना के सर्वाधिक मामले फरवरी-मार्च तक पहुंचने की संभावना है। महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) डॉ. प्रदीप व्यास ने हाल ही में भविष्यवाणी की है कि जनवरी के तीसरे सप्ताह तक महाराष्ट्र में कुल दो लाख कोरोना केस हो सकते हैं। उन्होंने बताया, "राज्य में बढ़ते कोविड मामलों की मौजूदा प्रवृत्ति के आधार पर, जनवरी 2022 के तीसरे सप्ताह तक हमारे पास लगभग दो लाख सक्रिय मामले होने की उम्मीद है।" डॉ. व्यास ने कहा कि यह कहना कि ओमिक्रॉन ज्यादा घातक नहीं है, भ्रामक हो सकता है। "यह उन लोगों के लिए समान रूप से घातक है जिन्हें टीका नहीं लगाया गया है और उन्हें कॉमरेडिडिटीज हैं।
 

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