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कोरोना का असर बेहद माइल्ड, फिर भी सरकार पूरी तरह तैयार, पैनिक होने से बचें: सीएम केजरीवाल - दिल्ली सरकार 37 हजार ऑक्सीजन बेड की तैयारी करके बैठी है: केजरीवाल

कोरोना का असर बेहद माइल्ड, फिर भी सरकार पूरी तरह तैयार, पैनिक होने से बचें: सीएम केजरीवाल - दिल्ली सरकार 37 हजार ऑक्सीजन बेड की तैयारी करके बैठी है: केजरीवाल

नई दिल्ली । मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली वासियों से कोरोना के बढ़ते केस को लेकर पैनिक होने से बचने की अपील की है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कोरोना की इस लहर का असर बेहद माइल्ड है। फिर भी ‘आप’ की सरकार पूरी तरह से तैयार है। वर्तमान में दिल्ली में 6300 एक्टिव केस हैं और केवल 82 बेड भरे हैं, जबकि 27 मार्च 2021 को 6600 एक्टिव केस थे और तब 1150 बेड भरे थे। आज केवल 5 मरीज वेंटिलेटर पर हैं, जबकि एक अप्रैल 2021 को जब एक दिन में 2700 केस आए थे, तब 231 मरीज वेंटिलेटर पर थे। इसी तरह, उस समय प्रतिदिन औसतन 10 मौतें हो रही थीं, लेकिन आज कभी एक, तो कभी एक भी मौत नहीं हो रही है। अभी अस्पतालों में 0.22 फीसद बेड भरे हैं और 99.78 फीसद बेड खाली हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अस्पताल में आने वाले कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ रही है। दिल्ली सरकार 37 हजार ऑक्सीजन बेड की तैयारी करके बैठी है। सभी से अपील है कि हमें जिम्मेदार रहना है, मास्क पहनना है, सोशल डिस्टेंसिंग करनी है और साबून से हाथ धोते रहना है।
केजरीवाल ने आज डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली में कोरोना के मौजूदा हालात की जानकारी दी। सीएम अरविंद केजरीवाल ने नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रभु से कामना है कि नया साल आपके लिए खूब सारी खुशियां लेकर आए और आप सभी को स्वस्थ और खुश रखें। दिल्ली में कोरोना बहुत तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना के केस रोज छलांग मार रहे हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल ने डेटा के जरिए बताया कि कोरोना के केस तो बढ़ रहे हैं, लेकिन अभी चिंता की कोई बात नहीं हैं, घबराने की कोई बात नहीं है। सबको जिम्मेदारी से काम लेना है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि 29 दिसंबर को 923 केस आए थे, जबकि 30 दिसंबर को 1313 केस आए और कोरोना केस ने एकदम से छलांग लगा दिया। इसी तरह, 31 दिसंबर को 1796 केस आए, एक जनवरी 2796 केस आए। एक दिन में एक हजार केस बढ़ गए। आज जो रिपोर्ट आएगी, उसमें करीब 3100 केस आने की संभावना है। इस तरह प्रतिदिन केस ढाई से तीन हजार को पार कर रहे हैं। इतनी तेजी से केस बढ़ रहे हैं। इस वक्त दिल्ली में एक्टिव केस 6360 केस हैं, जबकि तीन दिन पहले एक्टिव केस 2191 थे। हम मोटा-मोटा मान लेते हैं कि 29 दिसंबर को लगभग 2 हजार एक्टिव केस थे और एक जनवरी को लगभग 6 हजार एक्टिव केस थे। इन तीन दिनों में लगभग तीन गुना एक्टिव केस बढ़ गए। लेकिन 29 दिसंबर को अस्पताल के 262 बेड पर कोरोना के मरीज थे। यह कुल मरीज हैं, जिसमें एयरपोर्ट पर पाए गए कोरोना मरीज भी शामिल हैं। वहीं, तीन दिन बाद एक जनवरी को अस्पताल में 247 कोरोना के मरीज एडमिट थे। 
सीएम केजरीवाल ने कहा कि 29 दिसंबर को अस्पताल में एडमिट मरीजों की तुलना में एक जनवरी को अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या थोड़ी कम ही हो गई है। इसका मतलब है कि जो-जो लोग कोरोना से बीमार हो रहे हैं, उन लोगों में लगभग किसी को भी अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ रही है। सब मामलों में हल्का बुखार व खांसी है। दिल्ली में कोरोना के बिल्कुल माइल्ड केसेज हैं या एसिम्प्टोमैटिक हैं। 29 दिसंबर को पूरी दिल्ली में 2 हजार एक्टिव केस थे। उस वक्त 262 बेड मरीजों से भरे हुए थे और एक जनवरी को 6360 केस थे, जो तीन गुना हो गए थे और अस्पताल में 247 बेड भरे हुए थे। आज की तारीख में अस्पताल में ऑक्सीजन के 82 बेड कोरोना मरीजों से भरे हुए हैं और कई दिनों से इसी के आसपास चल रहे हैं। इस तरह, कोई भी मरीज अस्पताल में ऐसा नहीं आ रहा है, जिसको ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही हो। आज हजारी दिल्ली में 37 हजार बेड की तैयारी है। दिल्ली सरकार 37 हजार कोरोना ऑक्सीजन बेड की तैयारी करके बैठी है कि अगर जरूरत पड़ेगी, तो हमारे पास 37 हजार बेड तैयार हैं और केवल 82 बेड इस समय भरे हुए हैं, जबकि दिल्ली में 6 हजार से ज्यादा कोरोना के मरीज हैं। मौजूदा समय में दिल्ली के अस्पतालों में 0.22 फीसद बेड भरे हुए हैं और 99.78 फीसद बेड खाली हैं। 
- 27 मार्च 2021 को 6600 एक्टिव केस थे और 1150 बेड भरे थे 
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अप्रैल के महीने में जब कोरोना की लहर आई थी। आपको याद होगा कि अप्रैल में सबसे भयानक लहर आई थी, जब ऑक्सीजन की कमी हो गई थी और काफी संख्या में लोगों की मौत हुई थी। उस समय का डेटा निकाल कर देख रहा था कि आज के मुकाबले में उस समय क्या हुआ था? जैसे आज की तारीख में दिल्ली में एक्टिव केस लगभग 6300 हैं, जबकि 27 मार्च 2021 को दिल्ली में एक्टिव केस 6600 थे। तब और आज एक्टिव केस लगभग बराबर थे। अप्रैल के महीने में जब दूसरी लहर आई थी, तब दिल्ली में ऑक्सीजन के 1150 बेड भरे हुए थे, लेकिन आज मात्र 82 बेड ही भरे हुए हैं। उस समय दिल्ली में 145 वेंटिलेटर इस्तेमाल हो रहे थे, जबकि आज मात्र 5 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। उस समय प्रतिदिन औसतन 10 मौतें हो रही थीं, लेकिन आज कभी एक हो रही है, तो कभी जीरो हो रही है। 
 

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