वाशिंगटन । ताजा अध्ययन में यह दावा किया गया है कि किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य में स्कूलों की भूमिका अहम होती है। हालांकि, ये बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के बहुत कम हिस्से को ही प्रभावित करते हैं। ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में साइकेट्री डिपार्टमेंट के प्रोफेसर विलेम कुयकेन का कहना है कि जब बच्चे स्कूल में दाखिल होते हैं तो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। उनका कहना है कि बचपन में बच्चों का अधिकांश समय स्कूलों में ही गुजरता है। ऐसे में स्कूल प्रबंधन को विचार करने की जरूरत है कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए वह क्या कर सकते हैं।
कई बार बाहरी कारक बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर खराब असर डालते हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर स्कूलों की भूमिका को लेकर 85 विद्यालयों के 11 से 14 साल के 26,885 छात्रों पर सर्वे किया गया। स्टडी के दौरान रिसर्चर्स की टीम ने पाया कि स्कूल बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बहुत कम हिस्से को प्रभावित करते हैं। हालांकि, ये जितने भी हिस्से को प्रभावित करें, वह काफी महत्वपूर्ण होते हैं। वहीं, ब्रिटेन के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टैम्सिन फोर्ड का कहना है कि स्कूलों का बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रत्यक्ष प्रभाव कम होता है। इसका मतलब यह नहीं है कि स्कूल बच्चों के लिए मूल्यवान नहीं होते।
फोर्ड का कहना है कि स्कूल का माहौल बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। यही वजह है कि स्कूल बच्चों के मानिसक स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। कहा जाता हैं कि बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि का सबसे अधिक असर होता है। यही प्रभाव उनके किशोर और वयस्क होने के बाद उनकी पर्सनैलिटी डेवलपमेंट में अहम भूमिका निभाता है।
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किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य में स्कूलों की होती है अहम भूमिका -यह दावा किया गया है एक ताजा अध्ययन में