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सर कह लीजिए लेकिन माय लॉर्ड यॉर ऑनर नहीं: जस्टिस एस. मुरलीधर

सर कह लीजिए लेकिन माय लॉर्ड यॉर ऑनर नहीं: जस्टिस एस. मुरलीधर

नई दिल्ली । ओडिशा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एस. मुरलीधर ने वकीलों से कहा है कि वे जजों को 'माय लॉर्ड', 'यॉर लॉर्डशिप' या 'यॉर ओनर' कहकर संबोधित न करें। तीन जनवरी को जारी कार्यसूची के साथ चीफ जस्टिस एस. मुरलीधर और जस्टिस आरके पटनाइक की ओर से यह नोट भी वकीलों से साझा किया गया। इसमें वकीलों से निवेदन किया गया है कि वे जजों को संबोधित करते समय माय लॉर्ड, यॉर लॉर्डशिप, यॉर ओनर या फिर ओनरेबल प्रिफिक्स का इस्तेमाल करने से बचें। नोट में यह भी कहा गया है कि कोर्ट के डेकोरम के मुताबिक, संबोधन के लिए 'सर' सहित किसी भी अन्य शब्द का इस्तेमाल किया जा सकता है। बता दें कि इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में रहते समय भी साल 2009 में जस्टिस मुरलीधर ने सभी वसीलों से कहा था कि वे उन्हें 'यॉर लॉर्डशिप' कहकर संबोधित न करें। वहीं, मार्च 2020 में उन्होंने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के वकीलों को भी ऐसा ही कहा था। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने साल 2006 में कहा था कि जजों को माय लॉर्ड या फिर यॉर लॉर्डशिप कहे जाने में भारत के औपनिवेशिक काल की झलक दिखती है। बीते साल जुलाई में, राजस्थान हाई कोर्ट ने भी वकीलों से कहा था कि वे जजों को माय लॉर्ड और यॉर लॉर्डशिप कहकर संबोधित न करें। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जजों को सम्मानजनक तरीके से संबोधित किया जाना चाहिए लेकिन उन्हें माय लॉर्ड, यॉर लॉर्डशिप या यॉर ऑनर ही कहना जरूरी नहीं है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बावजूद कई हाई कोर्टों में जजों को अब भी माइलॉर्ड कहकर संबोधित किया जाना जारी है। 
 

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