माँ एक गुरु के रूप में अपनी संतान को संस्कार देती है। माता जीवन का निर्माण करती है, तो पिता उसे उन्नति के शिखर तक ले जाता है। माँ है तो सबकुछ है और यदि माँ नहीं तो कुछ भी नहीं। जो अपनी माँ को प्रसन्न रखता है, वह उसके आशीर्वाद का वरदान भी पाता है। ऐसी परम उपकारी वात्सल्य मूर्ति माँ की आँखों में कभी आँसू नहीं आने देना। जो विनयपूर्वक परमात्मा और सद्गुरु के चरणों में समर्पित हो जाता है, वह सबकुछ पा जाता है। सद्गुरु हमें ज्ञान देते हैं। सद्गुरुरूपी नाविक के साथ धर्मरूपी नौका में बैठकर इंसान संसार सागर को पार कर लेता है। आज व्यक्ति धन-वैभव का अहंकार करता है, परंतु वह अंत में धराशायी हो जाता है। जिसके जीवन में विनय का गुण है, वह ज्ञान प्राप्त कर सकता है। माँ एक गुरु के रूप में अपनी संतान को संस्कार देती है। माता जीवन का निर्माण करती है, तो पिता उसे उन्नति के शिखर तक ले जाता है। माँ है तो सबकुछ है और यदि माँ नहीं तो कुछ भी नहीं।
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(चिंतन-मनन) माँ है तो सबकुछ है