नई दिल्ली । आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली (आईएनएसटीएस) के लिये हरित ऊर्जा कॉरिडोर (जीईसी) चरण-II की योजना को मंजूरी दे दी। इसके तहत लगभग 10,750 सर्किट किलोमीटर पारेषण लाइन तथा सब-स्टेशनों की लगभग 27,500 मेगा वोल्ट-एम्पियर (एमवीए) ट्रांसफार्मर क्षमता को अतिरिक्त रूप से जोड़े जाने को मंजूरी दी है।
इस योजना से सात राज्यों- गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तरप्रदेश में ग्रिड एकीकरण और लगभग 20 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा की बिजली निकासी परियोजनाओं को मदद मिलेगी। इस योजना को कुल 12,031.33 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) परियोजना के 33 प्रतिशत के बराबर, यानी 3970.34 करोड़ रुपये होगी। पारेषण प्रणाली को वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक की पांच वर्ष की अवधि के दौरान तैयार किया जायेगा। केंद्रीय वित्तीय सहायता से राज्यांतरिक पारेषण शुल्कों का समायोजन करने में मदद मिलेगी और इस तरह बिजली की कीमत को कम रखा जा सकेगा। लिहाजा, बिजली के अंतिम उपयोगकर्ता – देश के नागरिकों को ही सरकारी सहयोग से फायदा पहुंचेगा। इस योजना से 2030 तक 450 गीगावॉट स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
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2030 तक 450 गीगावॉट स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी