कोल इंडिया की ओर से कोयले के दाम में अचानक की गई बढ़ोतरी से नॉन-पावर कंज्यूमर्स का एक वर्ग काफी नाराज है। कोयले के दाम में बढ़ोतरी का बोझ उन मामलों में पड़ रहा है जिनमें कोयले की सप्लाई रेल की जगह सड़कमार्ग से हो रही है या जहां रैक से कोयला ले जाना संभव नहीं है। कोल इंडिया की कुछ माइंस के लिए रेक उपलब्ध नहीं होने या फिर वहां तक रेलवे की कनेक्टिविटी नहीं होने के चलते कंपनी को नॉन-पावर कंज्यूमर्स को सड़क मार्ग से कोयले की सप्लाई करने का ऑफर देना पड़ा। इंडियन कैप्टिव पावर प्रॉड्यूसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल बताते हैं, जो कंज्यूमर्स अपनी मर्जी से सड़क मार्ग से कोयला लेने का विकल्प चुन रहे हैं, उनसे ज्यादा दाम मांगा जा रहा है। ज्यादातर मामलों में यह दर सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट के तहत दिए जाने वाले रेट से ज्यादा है।'
हाल ही में हुए ऑक्शन में लॉन्ग टर्म सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने वाले नॉन-पावर कंज्यूमर्स के लिए कोयले के बेस प्राइस पर दिया जाने वाला प्रीमियम रेलवे के जरिए सप्लाई के लिए हुए ऑक्शन की बिड प्राइस और नॉन-पावर कंज्यूमर्स के लिए हाल में हुए दो बिडिंग में कोल इंडिया को मिली सबसे बड़ी बोली से ज्यादा पड़ेगा। इसी तरह स्पेशल फारवर्ड ई-ऑक्शन या एक्सक्लूसिव ई-ऑक्शन के जरिए कोयला लेने वाले कंज्यूमर्स की ओर से किया जाने वाला भुगतान बिडर की बोली में रेलवे के जरिए सप्लाई के लिए ऑफर की गई सबसे ऊंचे प्रीमियम से ज्यादा है या पिछले दो वित्त वर्षों के किसी भी ई-ऑक्शन में सड़क मार्ग के लिए अधिसूचित कीमत पर ऑफर किए गए सबसे ऊंचे प्रीमियम पर्सेंटेज से ज्यादा है। कोयले के खरीदार कंज्यूमर्स एसोसिएशंस इस मामले को कोल मिनिस्ट्री के सामने भी ले जा चुकी है।
उनका कहना है कि कोल इंडिया के फैसले से कोयले की खरीदारी लागत बढ़ी है। कोल कंज्यूमर्स एसोसिएशन की ओर से हाल ही में मंत्रालय को लिखे लेटर के मुताबिक, 'कोल इंडिया ने मासिक आधार पर कोयले की बेहतर निकासी के लिए कंज्यूमर्स को रेल की जगह सड़क मार्ग या रेल और सड़क मार्ग दोनों में बदलने की इजाजत दी है। इसके बाद सब्सिडियरी कंपनियों ने योजना में कुछ प्रावधान जोड़कर नोटिस जारी किए हैं। इससे कंज्यूमर्स पर अतिरिक्त प्रीमियम का बोझ पढ़ा है, जिनसे उनके हित प्रभावित हुए हैं।
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कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी पर सीआईएल से नॉन-पावर कंज्यूमर्स नाराज