नई दिल्ली । राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के शुक्रवार को जारी राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक, अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में वृद्धि देखने को मिली है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाए गए सख्त ‘लॉकडाउन' से जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।
एनएसओ ने एक बयान में कहा, ‘‘ स्थिर मूल्य पर वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 2021-22 में 147.54 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। जबकि 31 मई, 2021 को 2020-21 के लिये जारी अस्थायी अनुमान में यह 135।13 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह 2021-22 में वास्तविक जीडीपी की वृद्धि 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जबकि एक साल पहले 2020-21 में इसमें 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।''इस अनुमान के अनुसार 2021-22 में निरपेक्ष रूप से जीडीपी कोविड-पूर्व स्तर 2019-20 के 145.69 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर जाएगी।मार्च 2020 में देश में आयी महामारी की रोकथाम के लिये 25 मार्च, 2020 से लगाए गए ‘लॉकडाउन' से वित्त वर्ष 2020-21 में आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ा था।
हालांकि एनएसओ का वृद्धि अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक के 2021-22 के लिए जताए गए 9.5 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान से कुछ कम है।बयान के अनुसार आधार मूल्य पर वास्तविक सकल मूल्य-वर्धन (जीवीए) 2021-22 में 135.22 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में 124.53 लाख करोड़ रुपये था। यह 8.6 प्रतिशत वृद्धि को बताता है।चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह वित्त वर्ष 2020-21 के 3.6 प्रतिशत के मुकाबले अधिक है।वहीं विनिर्माण क्षेत्र में 12.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है जबकि वर्ष 2020-21 में इसमें 7.2 प्रतिशत की गिरावट थी। एनएसओ के अनुसार खनन और उत्खनन में 14.3 प्रतिशत और व्यापार, होटल, परिवहन, संचार तथा प्रसारण से जुड़े सेवा क्षेत्र में 11.9 प्रतिशत वृद्धि की संभावना है।
इकॉनमी
देश की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 में 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान