नई दिल्ली । समुद्र में पौधों से मिलने वाले बहुत से पदार्थ और एलगी का इस्तेमाल अभी तक फ्लेवर सूप और खाने-पीने की चीजों के लिए होता था, लेकिन कॉस्मेटिक से लेकर टेक्सटाइल और बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग के साथ बायोफ्यूल तक सीवीड से बनाए जा सकते हैं। सीवीड के नाम से जाने वाले प्रोडक्ट का इस्तेमाल कई तरीके से होता है। आमतौर पर सीवीड को समुद्री सिवार या शैवाल कहा जाता है। यूरोप और अमेरिका आदि में सी वीड गार्डेनिंग में काफी समय से इस्तेमाल हो रहा है। भारत में भी अब इसका प्रयोग बढ़ रहा है। आमतौर पर सी वीड या शैवाल समुद्र पर फैलाई गई रस्सी या जाल पर उगाई जाती है। इस तरीके से बहुत बड़े पैमाने पर शैवाल की खेती करना तकरीबन नामुमकिन है।
बेंगलुरु के स्टार्टअप ने समुद्र में खेती करने का नया तरीका ढूंढ लिया है। बेंगलुरु की सी सिक्स एनर्जी के अधिकारी ने कहा कि समुद्र की सतह पर खेती करने के कई नए तरीके विकसित हो सकते हैं, जिससे बड़ी मात्रा में उपयोगी पदार्थ उगाए जा सकते हैं। बेंगलुरु का स्टार्ट अप जमीन पर ट्रैक्टर की मदद से की जाने वाली खेती की तरह समुद्र में भी फार्मिंग करना चाहता है।इसके लिए इन्होंने सी कंबाइन तैयार किया है। सी कंबाइन वास्तव में ऑटोमेटेड कैटामारन है जो समुद्र से सी वीड की कटाई करता है, उनकी जगह दोबारा नए पौधे रोप देता है। यह मशीन वास्तव में सीवीड को एक लाइन से काटता चला जाता है। पूरी तरह विकसित हो चुके प्लांट को काटने और उसकी जगह नए बीज या पौधे लगाने का काम यह बहुत अच्छे से करता है।कंपनी के सीवीड फार्म को इनदिनों इंडोनेशिया के समुद्री तट पर देखा जा सकता है। इंडोनेशिया में ग्रामीण इलाके के लोग परंपरागत तरीके से सीवीड की खेती करते रहे हैं। वहां सीवीड की खपत भी बहुत अधिक है। नई तकनीक और बड़े बाजार की वजह से कंपनी और अधिक सी कंबाइन खरीद कर भारत में भी सीवीड की खेती करना चाहती है।
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यह भारतीय स्टार्ट अप जमीन की तरह समुद्र में खेती करने की तैयारी में