कई बीमारियों के इलाज में नीम की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। किसी को चिकनपॉक्स निकल आए, तो उसे नीम के पत्ते गरम पानी में डालकर नहलाया जाता है बल्कि उसके बिस्तर के आसपास भी नीम की पत्तियां रखी जाती हैं। नीम की पत्तियां कील-मुंहासे और फोड़े-फुंसियों के इलाज में भी सहायक होती है। कुल मिलाकर देखा जाए तो नीम में एक रामबाण इलाज छिपा है। अगर आप हर दिन सुबह नीम की महज 4 पत्तियां भी चबाएं तो मुंह की देखभाल की जा सकती है। नीम की छाल का उपयोग मलेरिया, पेट और अल्सर, त्वचा रोग, दर्द और बुखार के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल कुष्ठ रोग, नेत्र विकार, नकसीर, आंतों के कीड़े, पेट की खराबी, भूख न लगना, हृदय रोग, बुखार, मधुमेह, मसूड़ों की बीमारी के लिए किया जाता है।12 हफ्ते तक नीम का अर्क सेवन करने के साथ रोजाना सूर्य के संपर्क और कोल टार और सैलिसिलिक ऐसिड क्रीम लगाने से लोगों में सोरायसिस के लक्षणों की गंभीरता कम हो सकती है। नीम के पत्तों का अर्क दांतों और मसूड़ों पर 6 हफ्ते तक रोजाना लगाने से प्लाक बनना कम हो सकता है। यह मुंह में बैक्टीरिया की संख्या को कम करता है जो दांतों की मैल यानी डेंटल प्लाक का कारण बनता है। आयुर्वेदाचार्य के अनुसार, नीम में ऐसे रसायन होते हैं जो रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने, पाचन तंत्र में अल्सर को ठीक करने, बैक्टीरिया को मारने और मुंह में प्लाक के निर्माण को रोकने में मदद कर सकते हैं। नीम की जड़ या पत्ते का अर्क त्वचा पर लगाने से काली मक्खियों को हटाने में मदद मिलती है। अगर अल्सर से पीड़ित हैं तो इसके लिए नीम की छाल का 30-60 मिलीग्राम अर्क 10 हफ्ते तक दिन में दो बार लें। इससे पेट और आंतों के अल्सर को ठीक किया जा सकता है। लेकिन इसका प्रयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें।