कैनबरा । माउंट एरेबस अंटार्कटिका का दूसरा सबसे ऊंचा सक्रिय ज्वालामुखी है। यह ज्वालामुखी करीब 1,3 मिलियन साल से सक्रिय है और बर्फीले महाद्वीप के नीचे एक जानवरों और पौधों की रहस्यमय दुनिया का सबूत देता है। माउंट एरेबस के चारों ओर गुफाओं की एक जटिल प्रणाली मौजूद है, जो भाप से बर्फ में खुलती हैं। यह पृथ्वी पर सबसे दक्षिणी सक्रिय ज्वालामुखी है। 3,684 मीटर की ऊंचाई पर यह ज्वालामुखी रॉस द्वीप पर स्थित है। इस द्वीप का निर्माण रॉस सागर में चार ज्वालामुखियों ने किया है। ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के नेतृत्व में एक व्यापक अध्ययन के दौरान ज्वालामुखी गुफाओं की खोज की गई थी। इसमें शोधकर्ताओं ने पाया कि ज्वालामुखी से निकलने वाली भाप कैसे खुली जगहों से होकर गुजरती है और इस प्रक्रिया में गुफाओं के नेटवर्क के माध्यम से रास्तों में जमी बर्फ पिघलती है। टीम ने कहा कि गुफाओं में प्रकाश है और इनका तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है जिससे वे जीवन के लिए संभावित प्रजनन स्थल बन सकते हैं। उस समय डॉ फ्रेजन ने कहा था कि गुफाएं वाकई अंदर से काफी गर्म हैं और कुछ का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है। उन्होंने कहा कि आप वहां एक टी-शर्ट पहनकर बड़े आराम से टहल सकते हैं। गुफा के मुहाने पर प्रकाश है और गुफाओं के कुछ हिस्सों में रौशनी ऊपर से आती रहती है जहां ऊपर की बर्फ पतली होती है। गुफाओं से ली गई मिट्टी का डीएनए विश्लेषण करते हुए, टीम को शैवाल, काई और छोटे अकशेरूकीय जानवरों सहित जीवों के सबूत मिले। हालांकि यह आश्चर्यजनक नहीं था क्योंकि अंटार्कटिका में इनमें से कई प्रजातियां पहले से पाई जाती हैं।इस अध्ययन का नेतृत्व डॉ सेरिडवेन फ्रेजर, लॉरी कॉनेल, चार्ल्स के ली और एस क्रेग कैरी ने किया था।
वर्ल्ड
माउंट एरेबस अंटार्कटिका का दूसरा सबसे ऊंचा है ज्वालामुखी -यह ज्वालामुखी करीब 1,3 मिलियन साल से है सक्रिय