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मकर संक्रांति पर कोरोना बना बाधा, हरिद्वार में डुबकी पर रोक -गंगासागर में 3 लाख से अधिक श्रद्धालु जुटे

मकर संक्रांति पर कोरोना बना बाधा, हरिद्वार में डुबकी पर रोक -गंगासागर में 3 लाख से अधिक श्रद्धालु जुटे

नई दिल्ली । सूर्य उपासना का पर्व मकर संक्रांति पर कोरोना वायरस का संकट बाधा बनकर सामने आया और इस बार भी त्योहारों का मजा किरकिरा कर दिया। आज मकर संक्रांति का स्नान है मगर हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा स्नान को प्रतिबंधित किए जाने के चलते हरिद्वार के पूरे हर की पैड़ी क्षेत्र को बैरिकेड करके श्रद्धालुओं के आने के लिए प्रतिबंधित किया गया है। पूरे क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स लगाकर आने वाले श्रद्धालुओं को हर की पैड़ी और अन्य गंगा घाटों पर जाने से रोकने के लिए प्रशासन द्वारा प्रबंध किए गए हैं। स्नान के प्रतिबंधित होने से हर की पैड़ी समेत सभी घाट सूने पड़े हैं। इसी के बीच आज सुबह की गंगा आरती भी केवल चंद लोगों की उपस्थिति में ही हो सकी है। सामान्य तौर पर मकर संक्रांति स्नान पर बड़ी संख्या में देशभक्त श्रद्धालु मां गंगा का स्नान करने के लिए हरिद्वार आते हैं। मगर चूंकि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते जिला प्रशासन ने इस स्नान को प्रतिबंधित किया है। इसके चलते पूरा हर की पैड़ी क्षेत्र खाली  पड़ा हुआ है।
सीओ सिटी शेखर सुयाल का कहना है कि बाहर हर बैरियर और हर नाके पर हमारी पुलिस मौजूद है और कोविड-19 गाइडलाइन का अनुपालन कराना हमारी जिम्मेदारी है। मैं समझता हूं कि हमारी  पुलिस फोर्स मुस्तैदी के साथ खड़ी है। 
उन्होंने कहा कि- घाट पूरा खाली है और जो प्रतिबंधित किया गया है उसको पूरी तरह से इंप्लीमेंट कराने में हम सफल रहे हैं। हां बैरिकेडिंग लगाई गई है हमारी कोशिश है कि लोग भीड़ न लगाएं। पिछले दो-तीन दिनों से लगातार आप लोगों के माध्यम से, मीडिया के माध्यम से अन्य माध्यम से लोगों तक यह बात पहुंचाई गई कि अभी इस स्नान में हरिद्वार में प्रतिबंध रहेगा और उसका असर हुआ है और बाकी जो लोग अभी भी जो बैरियर पर हैं उन्हें वापस भेजने की कोशिश कर रहे हैं।
इधर, पश्चिम बंगाल के गंगासागर में गंगा स्नान के लिए 3 लाख लोग जुटे हैं। गंगा सागर के महत्व और इतिहास के बारे में बीएचयू के संस्कृत विघा धर्म विज्ञान संकाय के प्रो माधव जर्नादन रटाटे ने बताया कि पुराणों के अनुसार राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर धरती पर आई और हिमालय पर उनकी धारा गिरी तो गंगा अनेक तीर्थों को आत्मसात करते हुए समुद्र में जाकर मिली है, उस स्थान को गंगा सागर संगम कहते हैं।
किसी भी नदी का संगम होता है उसका बड़ा महत्व होता है। वही गंगा सागर के पास कपिल मुनि का आश्रम भी है। राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों को तारने के लिए गंगा का आह्वान किया था। कपिल मुनि के आश्रम में पूर्वजों के भस्म को मां गंगा ने अपने में समाहित कर लिया। सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार जैसी कहावत है। दस अश्वमेध यज्ञ जीतना पुण्य या एक हजार गौ दान जितना ही पुण्य गंगा सागर में स्नान से होता है।
वहीं, हिंदुओं के सबसे बड़े तीर्थ प्रयागराज में आज से माघ मेला और कल्पवास दोनों का प्रारंभ हुआ लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश विदेश से आकर मकर संक्रांति के पर्व पर पुण्य की डुबकी पवित्र गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम मे लगा रहे हैं। मकर राशि में जब सूर्य आता है उस समय यह योग बनता है। संक्रांति सूर्य पर्व माना गया है। आगे से भगवान भास्कर दक्षिण से उत्तर की दिशा प्राप्त करेंगे। इसे उत्तरायण भी कहते हैं।
ज्योतिषी आधार पर 14 जनवरी को लगने वाली मकर संक्रांति सूर्य उदय के समय को आगे बढ़ाते हुए सूर्यास्त के समय लग रही है और हिंदू पंचांग मान्यता के अनुसार जो तिथि सूर्य उदय के समय हो वही दिन भर मानी जाती है हलांकि संक्रांति आज रात लगभग 8:00 बजे लग रही है किंतु बड़ी संख्या में लोग सवेरे से ही पवित्र जल में डुबकी लगा रहे हैं। कोविड-19 का खौफ आस्था पर भारी नहीं पड़ रहा है जिला प्रशासन ने हालांकि बड़ी तैयारी की है किंतु इसके बाद भी कई जगह लीकेज है। एक तरह से प्रयाग के संगम में आज 14 जनवरी और कल 15 जनवरी दोनों दिन मकर संक्रांति का स्नान होगा।
 

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