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 बीजेपी-जदयू में तेज हुई जुबानी जंग

 बीजेपी-जदयू में तेज हुई जुबानी जंग

नई दिल्ली । बिहार में दयाशंकर सिन्हा प्रकरण ने तू्ल पकड़ लिया है। इनके द्वारा चक्रवर्ती सम्राट अशोक की तुलना क्रूर शासक औरंगजेब से करने को लेकर बिहार की सत्ता में साझीदार जदयू-भाजपा के बीच आरंभ हुई बयानबाजी अब इस प्रकरण से होते हुए बिहार में लागू शराबबंदी तक पहुंच गई है। दोनों दलों के नेता कीचड़ उछालने से बाज नहीं आ रहे।  सोशल मीडिया में भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने शुरुआत की, प्रवक्ता अरविंद सिंह ने भी तल्ख टिप्पणी की तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल भी अपना पक्ष लेकर उतरे। जदयू की ओर से उन पर प्रवक्ता अभिषेक झा ने सवाल उठाया था तो प्रवक्ता निखिल मंडल ने सहयोगी पार्टी भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद को करारा जवाब दिया। इन सबके बीच पूर्व उप मुख्यमंत्री व भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने एनडीए नेताओं को बयानबाजी बंद करने की सलाह दी है। जदयू प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक झा ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल से सवाल पूछा। कहा कि आप अपने गिरेबान में झांक कर देखिए कि बीते एक वर्ष में आपने एनडीए गठबंधन के खिलाफ कितने बयान दिए हैं? यदि स्मरण ना हो तो सभी बयानों का संकलन करके आपको भेजा जा सकता है। जहरीली शराब पीने से आपके लोकसभा क्षेत्र में जब कुछ लोगों की मृत्यु हुई थी, आप संवेदना व्यक्त करने और सांत्वना स्वरूप पैसे बांटने गए थे। एनडीए सरकार की नीति के हिसाब से आपका यह आचरण सही था या गलत? आपने जदयू प्रवक्ता से जदयू पार्टी को जोड़ने की बात कही है। शराबबंदी की नीति के खिलाफ या सरकार के खिलाफ आपने जो भी बातें कहीं हैं वह पार्टी का बयान है ना? जवाब में अपने पोस्ट में संजय जायसवाल ने कहा कि मेरे लोकसभा क्षेत्र में जहरीली शराब के कारण हुई मृत्यु में, मेरे जाने पर अभिषेक झा मुझसे जवाब मांग रहे हैं। यह सवाल जदयू द्वारा है क्योंकि प्रवक्ता दल की बातें रखता है, व्यक्तिगत नहीं। बता हूं कि मैं जहरीली शराब से हुई मौतों के परिवारजनों के घर गया था और अगर भविष्य में भी कभी मेरे क्षेत्र में इस तरह की दुर्घटना घटेगी तो मैं जाऊंगा और आर्थिक मदद भी करुंगा। गुनाहगार मरने वाले थे ना कि उनके परिवारजन। अगर कोई व्यक्ति जहरीली शराब से मरता है तो उसने निश्चित तौर पर अपराध किया है पर इससे प्रशासनिक विफलता के दाग को बचाया नहीं जा सकता और जब मैं इस शासन के एक घटक का अध्यक्ष हूं तो यह मेरी भी विफलता है। वैसे भी मैं अभिषेक झा जी को याद दिला दूं कि कि मैंने मीडिया में कहा था कि शराबबंदी कानून की पुनः समीक्षा होनी चाहिए। 
 

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