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 रेलवे की लापरवाही ने ले ली 9 यात्रियों की जान

 रेलवे की लापरवाही ने ले ली 9 यात्रियों की जान

नई दिल्ली । रेल इंजन की अधूरी फिटनेस के कारण गुरुवार को बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में दोमोहानी के निकट दुर्घटना की शिकार हुई। अपनी तय रफ्तार से दौड़ती बीकानेर एक्सप्रेस के इंजन के नीचे लगे टैक्शन मोटर के गिरने के कारण ट्रेन बेपटरी हो गई। रेलवे बोर्ड ने शुक्रवार को सभी लोको पायलट व सहायक लोको पायलट को ट्रेन चलाने से पहले इंजन की मैन्युअल जांच करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। दूसरी ओर, दुर्घटना में मृतक यात्रियों की संख्या बढ़कर नौ हो गई। 36 यात्री घायल हुए हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव परिपाटी से इतर दुर्घटना के अगले दिन शुक्रवार को घटनास्थल पर पहुंचे। घटनास्थल पर पटरी और मरम्मत कार्यों की स्थिति का पता लगाने के लिए उन्होंने इंस्पेक्शन ट्रॉली से निरीक्षण किया। इसके बाद दुर्घटनाग्रस्त इंजन को बारीकी से देखा। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रथम दृष्टया इंजन के उपकरण में खराबी के कारण रेल हादसा हुआ। इसकी जांच चल रही है, जल्द ही इसका पता चल जाएगा। मंत्री ने रेल इंजन के अंडरफ्रेम और उसके ब्रेकिंग सिस्टम का भी गहन निरीक्षण किया। रेल मंत्री की इस बात को रेलवे बोर्ड के दस्तावेज तस्दीक करते हैं। इसके मुताबिक, रेलवे बोर्ड ने शुक्रवार को सभी चीफ इलेक्ट्रिकल लोको इंजीनियर्स (सीईएलईएस) को निर्देश जारी किए हैं, जिसमें कहा गया है कि ट्रेन चलाने से पहले लोको पायलट व सहायक लोको पायलट इंजन का ठीक प्रकार से मुआयना (मैन्युअल जांच) करें। इसके अलावा सफर के दौरान ट्रेन के स्टेशन पर रुकने के बाद इंजन का निरीक्षण करें, यदि संभव-समय है तो। रेलवे बोर्ड के दस्तावेज में उल्लेख है कि इंजन के नीचे लगे ट्रैक्शन मोटर के गिरने के कारण बीकानेर एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुई है। निर्देश में कहा गया है कि लोको पायलट अधूरी फिटनेस के इंजन को चलाने से इनकार करें। इंजन का चार्ज लेते समय लोको पायलट फिटनेस प्रणाम पत्र देखें कि इंजन की समयबद्ध फिटनेस जांच हुई है या नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि रोलिंग स्टॉक (इंजन-कोच-डिब्बे) की समयबद्ध फिटनेस जांच होती है। बीकानेर एक्सप्रेस के इंजन की संबंधित लोको शेड (जहां इंजन की मरम्मत व रखरखाव होता है) ठीक प्रकार से फिटनेस जांच नहीं हुई। इसके लिए लोको शेड के इंजीनियर्स जिम्मेदार हैं। हालांकि, रेल हादसे के सही कारण का पता रेल सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की जांच के बाद पता चलेगा। इसमें कई महीने लगने की संभावना है।
 

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