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संयुक्त राष्ट्र ने माली के लिए शांति रक्षा उड़ानों पर लगाई रोक - संयुक्त राष्ट्र का मिशन उड़ानों की  मंजूरी प्राप्त करने नई प्रक्रियाओं पर सेना से कर रहा बातचीत 

संयुक्त राष्ट्र ने माली के लिए शांति रक्षा उड़ानों पर लगाई रोक - संयुक्त राष्ट्र का मिशन उड़ानों की  मंजूरी प्राप्त करने नई प्रक्रियाओं पर सेना से कर रहा बातचीत 

जिनेवा । संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि माली में सैन्य सरकार ने संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा सेना की कई उड़ानों को रोक दिया है जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार से पश्चिम अफ्रीकी देश के लिए सभी गैर-आपातकालीन उड़ानों पर रोक लगा दी है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि माली में संयुक्त राष्ट्र का मिशन संयुक्त राष्ट्र की उड़ानों के लिए मंजूरी प्राप्त करने के मकसद से नई प्रक्रियाओं पर सेना से बातचीत कर रहा है। माली में संयुक्त राष्ट्र मिशन को मिनुसमा के नाम से जाना जाता है। दुजारिक ने कहा ‎कि  सभी उड़ानें रोक दी गई हैं और हम इन प्रक्रियाओं पर स्पष्टीकरण प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के लिए अपने शासनादेश को पूरा करना बेहद मुश्किल बना दिया है। संयुक्त राष्ट्र के 16 दूर-दराज के मिशन में मिनुसमा मिशन सबसे जोखिम वाला है। 2021 में माली में 19 शांति रक्षा सैनिकों की जान चली गई। दुजारिक ने कहा कि देशों का अपने हवाई क्षेत्र पर नियंत्रण है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र वहां काम करना चाहता है जहां मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया बेहद कठिन नहीं है। माली 2012 से इस्लामी चरमपंथी विद्रोह को रोकने के लिए संघर्ष कर रहा है। 
चरमपंथी विद्रोहियों को फ्रांसीसी नेतृत्व वाले सैन्य अभियान की मदद से माली के उत्तरी शहरों में सत्ता से हटने के लिए मजबूर किया गया था, लेकिन वे रेगिस्तान में फिर से इकट्ठे हो गए और माली की सेना तथा उसके सहयोगियों पर हमले शुरू कर दिए। आम नागरिकों और संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों पर हमलों से असुरक्षा और बढ़ गई है। अगस्त 2020 में माली के राष्ट्रपति बाउबकर इब्राहिम कीता को तख्तापलट कर हटा दिया गया था, जिनकी रविवार को मृत्यु हो गई। इस तख्तापलट में सेना के कर्नल असिमी गोइता भी शामिल थे। पिछले जून में गोइता ने नौ महीने में दूसरी बार तख्तापलट करने के बाद सरकार के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। सैन्य शासन ने शुरू में फरवरी के अंत में नए चुनाव को लेकर सहमति जताई थी लेकिन इस महीने की शुरुआत में देश भर में असुरक्षा की भावना का हवाला देते हुए उसने 2026 तक चुनाव टालने की घोषणा की जिससे गोइता चार और साल सत्ता में बने रहेंगे।
 

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