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चीन, रूस और ईरान का  संयुक्त नौसैनिक अभ्यास, भारत के लिए चिंता का विषय 

चीन, रूस और ईरान का  संयुक्त नौसैनिक अभ्यास, भारत के लिए चिंता का विषय 

नई दिल्ली । चीन, रूस और ईरान मिलकर चाबहार पोर्ट पर संयुक्त नौसैनिक अभ्यास की तैयारी में जुटे हैं। रिपोर्ट बताती है कि रूसी नौसेना के जहाज संयुक्त समुद्री अभ्यास की तैयारी के लिए ईरान का दौरा कर रहे हैं।रूसी प्रशांत महासागर के बेड़े ने बताया है कि एक मिसाइल क्रूजर, पनडुब्बी रोधी युद्धपोत और एक टैंकर दक्षिण-पूर्वी ईरान के चाबहार बंदरगाह पर पहुंच चुके हैं। ये जहाज पिछले महीने व्लादिवोस्तोक से रवाना हुए थे। फरवरी 2021 में भी ईरान और रूस ने नौसैनिक अभ्यास किया था। हाल के सालों में दोनों देशों ने मध्यपूर्व के क्षेत्र में चीन के साथ कम से कम दो बार संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया है। ताजा अभ्यास की तैयारी तब हुई जब ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने मॉस्को पहुंचे थे। इस दौरान दोनों नेताओं ने अमेरिका के प्रभाव को कम करने के लिए साथ काम करने की सहमति जाहिर की है। दोनों देशों ने स्थायी और रणनीतिक सहयोग के क्षेत्र में काम करने की बात कही।
ईरान परमाणु समझौते को लेकर अमेरिका ने तेहरान के पिछले कई सालों से कई तरह के प्रतिबंध लगाए हुए हैं। वियना में समझौते को लेकर फिर से बात हो रही है लेकिन बातचीत में कुछ खास प्रगति होती नहीं दिखी है। अमेरिका ने यूक्रेन को लेकर रूस को भी धमकी दी है।कहा है कि यूक्रेन पर हमला करने पर रूस पर इसतरह के प्रतिबंध लगाए जाएंगे जो कभी देख नहीं होंगे।इसके बाद एक्सपर्ट्स इस अभ्यास को यूक्रेन से जोड़कर भी देख रहे हैं।जिस चाबहार पोर्ट पर चीन, रूस और ईरान नौसैनिक अभ्यास करने की तैयारी में है, वह पोर्ट रणनीतिक तौर से भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।बता दें कि चीन द्वारा पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट को विकसित किया है।इसके बाद भारत ईरान के साथ मिलकर चाबहार पोर्ट पर काम कर रहा है। भारत को उम्मीद है कि इस पोर्ट के जरिए अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा।भारत ने इस पोर्ट को विकसित करने के लिए अब तक अरबों रुपए खर्च किए हैं।इसके बाद चीन, रूस और ईरान का यह युद्ध अभ्यास भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है।
 

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