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 ट्विन टावर के खरीदारों को 5.60 करोड़ लौटाने के लिए सुपरटेक को 28 फरवरी तक की मोहलत

 ट्विन टावर के खरीदारों को 5.60 करोड़ लौटाने के लिए सुपरटेक को 28 फरवरी तक की मोहलत

नोएडा । सुप्रीम कोर्ट ने  रियल एस्टेट की बड़ी कंपनी सुपरटेक को 28 फरवरी तक नोएडा स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के 40 मंजिला ट्विन टावर के खरीदारों से लिए गए पैसे को वापस करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 28 अगस्त को ट्विन टावर को अवैध घोषित करते हुए ध्वस्त करने का आदेश दिया था। घर खरीदने वाले करीब 18 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना ​​याचिकाएं दायर की थीं। इन याचिकाओं में रियल एस्टेट डेवलपर पर निष्क्रियता का आरोप लगाया गया था। दरअसल उसे (सुपरटेक) भुगतान किए जाने की तारीख तक 12% ब्याज के साथ जमा की गई मूल राशि फ्लैट खरीदारों को वापस करनी थी। इस महीने की शुरुआत में, कोर्ट ने सुपरटेक द्वारा दिखाई गई देरी पर गंभीर आपत्ति जताई और इसके निदेशकों को जेल भेजने की धमकी दी थी। शुक्रवार को न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने आदेश पारित किया। सुप्रीम कोर्ट में ने सुपरटेक से कहा कि वह 28 फरवरी तक बॉयर्स के रुपये रिफंड करे। सुपरटेक और होमबॉयर्स द्वारा अलग-अलग कैल्कुलेशन के चलते फाइनल पेमेंट की राशि में अंतर से निपटने के लिए, कोर्ट ने अधिवक्ता गौरव अग्रवाल की सहायता ली, जिन्होंने न्याय मित्र के रूप में न्यायालय की सहायता की और निवेश की वापसी (आरओआई) पर पहले से भुगतान की गई राशि को घटाकर प्रत्येक अवमानना याचिकाकर्ता को देय राशि तय की जिसे कोर्ट ने मान लिया। खंडपीठ ने अग्रवाल द्वारा 12 अवमानना याचिकाकर्ताओं के लिए की गई गणना को स्वीकार कर लिया, जो लगभग 5.60 करोड़ रुपये हुई और सुपरटेक को 28 फरवरी को या उससे पहले उक्त राशि वापस करने का निर्देश दिया है। कोर्ट द्वारा टावरों को गिराने के आदेश के बाद लगभग 252 घर खरीदार रिफंड का इंतजार कर रहे थे। विध्वंस प्रक्रिया को भी अंतिम रूप दे दिया गया है और इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत द्वारा अलग से नजर रखी जा रही है। कुछ घर खरीदारों की ओर से पेश हुए एडवोकेट अब्राहम सी मैथ्यूज ने कोर्ट से अनुरोध किया कि सुपरटेक द्वारा देय राशि 30 से 60 लाख रुपये की औसत सीमा में थी और इसे तत्काल दिए जाने आवश्यकता थी। टूटने के लिए तैयार दो टावरों (एपेक्स और सेयेन) में 915 फ्लैट हैं, जिनमें से 633 बुक किए गए थे। उनमें से, केवल 252 फ्लैट खरीदारों को रिफंड का भुगतान किया जाना था क्योंकि 133 होमबॉयर्स ने अन्य सुपरटेक परियोजनाओं में फिर से निवेश किया था, जबकि 248 ने प्रोजेक्ट में कोई संभावना नहीं देखते हुए जल्दी रिफंड ले लिया था। सुनवाई के दौरान फ्लैट खरीदारों की ओर से पेश हुए वकील ने कोर्ट को बताया कि सुपरटेक कह रही है कि उन्हीं फ्लैट बॉयर्स को रिफंड किया जाएगा जिन्होंने कंटेप्ट पेटिशन दाखिल किया है। इसको लेकर कोर्ट ने सुपरटेक को साफ बताया है कि रिफंड की समय सीमा उन होमबॉयर्स पर समान रूप से लागू होती है जिन्होंने अवमानना याचिका (कंटेप्ट पेटिशन) दायर नहीं की है। सुपरटेक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एस गणेश ने अदालत को आश्वासन दिया कि अदालत के निर्देशानुसार रिफंड सुनिश्चित करने के लिए एक सप्ताह के भीतर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि बैंक डिटेल पता चलती हैं, तो इसे इलेक्ट्रॉनिक रूप से ट्रांसफर किया जा सकता है।
 

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