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 कोरोना को मात देने के बाद भी कंटेनमेंट जोन में कैद हैं दिल्ली वाले

 कोरोना को मात देने के बाद भी कंटेनमेंट जोन में कैद हैं दिल्ली वाले

नई दिल्ली । दिल्ली में कोरोना संक्रमण लोगों को जितना परेशान कर रहा है उतना ही कोरोना नियमों ने आम जनता को परेशान कर रखा है। कोरोना संक्रमण से मुक्ति मिलने के बावजूद लोग अपने घरों में कैद हैं। नियम के मुताबिक जिस मकान को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है, उसे 28 दिन बाद ही कंटेनमेंट जोन के टैग से मुक्ति मिल सकती है, जबकि कोरोना संक्रमितों के होम आइसोलेशन की अवधि को कम कर महज 7 दिन कर दिया गया है। जिससे लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा समय में दिल्ली में कोरोना के 61954 सक्रिय मामले हैं और कंटेनमेंट जोन की संख्या 42239 है। लाजपत नगर में के-ब्लॉक निवासी अमित गुप्ता, बदला हुआ नाम, ने बताया लगभग 10 दिन पहले उनके घर के बाहर कंटेनमेंट जोन बनाने का पर्चा चिपकाया गया था। उस समय परिवार में चार लोग कोरोना संक्रमित थे। पूरे परिवार को होम आइसोलेशन में रखा गया। उन्होंने बताया कि हमारे पड़ोसियों ने घर के बाहर से निकलना तक बंद कर दिया है। लोग सोशल मीडिया पर घर के गेट की फोटो शेयर कर रहे हैं, मानो हमने कोई गुनाह कर दिया है। उन्होंने बताया कि लोग फोन पर तो बात कर रहे हैं, लेकिन घर के आस-पास आने से कतरा रहे हैं। ये हालात तब हैं जब पूरा परिवार कोरोना से मुक्त हो चुका है और सभी लोग सामान्य हो गए हैं। अमित ने बताया कि उन्होंने प्रशासन से बात की है कि उनके मकान के आगे से कंटेनमेंट जोन का पर्चा हटाया जाए, लेकिन प्रशासन के लोगों का कहना है कि 28 दिन तक कंटेनमेंट जोन को हटा नहीं सकते हैं। वर्तमान में कंटेनमेंट जोन बनाए जाने के बाद अगर कोविड मरीज सात दिन में ठीक भी हो जाता है तो कंटेनमेंट जोन खत्म करने में 28 दिन का इंतजार करना पड़ता है। पहले 14 दिन बाद उसे स्केल डाउन (14 दिन में कोई नया मरीज नहीं आने पर) किया जाता है, फिर अगले दिन 14 दिन कोई नया केस नहीं आने के बाद उसे डी-कंटेन किया जाता है। बता दें कि कुछ दिन पहले सरकार की हुई बैठक में यह तय किया गया कि जब होम आइसोलेशन का समय कम हुआ है तो डी-कंटेनमेंट करने का समय भी कम होना चाहिए। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जब तक कोविड मरीज वाले कंटेनमेंट जोन को डी-कंटेन नहीं किया जाता है, वहां लाकडाउन जैसी स्थिति रहती है। वहां हर तरह की गतिविधि पर पाबंदी रहती है। परिवार के सदस्यों के आवाजाही पर दिक्कत होती है। वह नियमों का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ डीडीएमए एक्ट के तहत कार्रवाई का प्रावधान भी है।
 

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