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हम चाहते हैं अफस्पा हटे, परंतु केंद्र की सहमति से: एन. बिरेन सिंह - ‎सिंह ने कहा, चुनाव बड़े बदलाव को प्रदर्शित करेंगे और उनकी पार्टी सीटों की संख्या दोगुनी करेगी 

हम चाहते हैं अफस्पा हटे, परंतु केंद्र की सहमति से: एन. बिरेन सिंह - ‎सिंह ने कहा, चुनाव बड़े बदलाव को प्रदर्शित करेंगे और उनकी पार्टी सीटों की संख्या दोगुनी करेगी 

नई दिल्ली । मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह ने कहा कि उनके राज्य के लोग और वह खुद भी चाहते हैं कि सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) हटा दिया जाए, लेकिन ऐसा केवल केंद्र की सहमति से किया जाना चाहिए, क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा उनकी शीर्ष प्राथमिकता है। सिंह ने एक साक्षात्कार में कहा ‎कि मेरा मानना है कि अफस्पा को केंद्र की सहमति से क्रमिक रूप से हटाया जा सकता है लेकिन हमें अवश्य याद रखना चाहिए कि म्यांमा में राजनीतिक स्थिरता नहीं है और हमारे देश की सीमा उसके साथ लगी हुई है। मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी के प्रथम मुख्यमंत्री सिंह ने यह भी कहा कि चुनाव बड़े बदलाव को प्रदर्शित करेंगे और उनकी पार्टी सीटों की अपनी संख्या दोगुनी करेगी। उन्होंने कहा ‎कि हम दो-तिहाई बहुमत हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। हमारा कोई चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं है लेकिन जरूरत पड़ने पर चुनाव बाद गठबंधन किया जा सकता है। उन्होंने इस बार शांति, विकास और सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व को भाजपा का मुख्य चुनावी मुद्दा बताते हुए यह बात कही। कांग्रेस के 28 विधायक होने के बावजूद अपने महज 21 विधायकों के साथ भाजपा ने दो स्थानीय दलों, एनपीपी और एनपीएफ के सहयोग से राज्य में 2017 में सरकार बनायी थी। मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में, 27 फरवरी और तीन मार्च को चुनाव होने हैं। मतगणना 10 मार्च को होगी।
अफस्पा हटाने की मांग को लेकर राज्य में कई आंदोलन हुए हैं। मणिपुर की इरोम शर्मिला का अनशन भी इसका एक मुख्य उदाहरण है, जो देश में सबसे लंबे समय तक चला था। अफस्पा हटाना एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है और पड़ोसी राज्य नगालैंड में हाल में सैन्य कर्मियों की गोलीबारी में 14 आम लोगों के मारे जाने को लेकर एक बार फिर यह प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। हम एक सीमावर्ती राज्य हैं और म्यांमा के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं। मुझे राष्ट्रहित को भी देखना होगा लेकिन एक मणिपुरी होने और मणिपुर का मुख्यमंत्री होने के नाते, मैं चाहता हूं कि अफस्पा हटा लिया जाए। लेकिन साथ ही जमीनी हकीकत का आकलन किए बगैर ऐसा करना संभव नहीं है। केंद्र सरकार से परामर्श किये बगैर यह संभव नहीं है। सिंह ने कहा ‎कि मेरे सहित मणिपुर के लोग चाहते हैं कि अफस्पा को हटा दिया जाए लेकिन केंद्र सरकार की परस्पर सहमति के बाद क्योंकि राष्ट्र की सुरक्षा हमारे लिए पहली प्राथमिकता है। सिंह ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में कोई बड़ी अप्रिय घटना नहीं हुई है और उग्रवाद 90 प्रतिशत तक कम हो गया है। उन्होंने कहा ‎कि मणिपुर सरकार म्यांमा में रह रहे मणिपुरी उग्रवादियों के साथ सार्थक वार्ता करने की भी कोशिश कर रही है।
कानून और व्यवस्था और अफस्पा को खत्म करने की लंबे समय से चली आ रही मांग के अलावा, राज्य का आर्थिक बदहाली के मुद्दे के चुनाव प्रचार के दौरान दो मुख्य दलों, भाजपा और कांग्रेस के एजेंडे में रहने की उम्मीद है। वहीं नेशनल पीपुल्स पार्टी और नगा पीपुल्स फ्रंट जैसे छोटे स्थानीय दलों की अपनी मांगें हैं। चुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंफाल का दौरा किया था और लगभग 1,850 करोड़ रुपये की 13 परियोजनाओं का उदघाटन किया था, इसके अलावा 2,950 करोड़ रुपए की नौ परियोजनाओं की आधारशिला रखी थी। सिंह ने पहली बार 2002 में डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशनरी पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव जीता था और 2007 में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में इस सीट को बरकरार रखा था। उन्होंने 2016 में कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए थे। वह 2017 में अपनी हिंगांग विधानसभा सीट से फिर से चुने गए थे। 61 वर्षीय सिंह के फिर से उसी सीट से चुनाव लड़ने की संभावना है।
 

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