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टाटा का 69 साल का इंतजार समाप्त नहीं होने वाला, टल सकती है एयर इंडिया की घर वापसी! -  अब शुक्रवार को टाटा को सौंपी जा सकती है एयर इंडिया की कमान

टाटा का 69 साल का इंतजार समाप्त नहीं होने वाला, टल सकती है एयर इंडिया की घर वापसी! -  अब शुक्रवार को टाटा को सौंपी जा सकती है एयर इंडिया की कमान

नई दिल्ली । पिछले साल नीलामी के बाद टाटा को एयर इंडिया सौंपने की प्रक्रिया जारी है। लेकिन कुछ ‎दिक्कतों की वजह से अभी तक नहीं हो पाई है। टाटा को गुरुवार को एयर इंडिया सौंपे जाने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन आ‎खिरी समय पर यह जानकारी ‎मिल रही है ‎कि टाटा का 69 साल का इंतजार अभी खत्म नहीं होने वाला है। जानकारी के मुता‎बिक अब टाटा को एयर इंडिया शुक्रवार को सौंपी जा सकती है। पिछले साल एय इंडिया की हुई नीलामी में टाटा समूह और स्पाइसजेट के चेयरमैन अजय सिंह ने बोलियां पेश की थीं। नीलामी में टाटा समूह की 18 हजार करोड़ रुपए की बोली को बेहतर पाया गया। इसके बाद सरकार ने 8 अक्टूबर को ऐलान कर दिया कि टाटा की बोली नीलामी में सफल चुनी गई है।सरकार ने इस डील के शेयर पर्चेज एग्रीमेंट पर 25 अक्टूबर को हस्ताक्षर कर ‎दिए थे। अधिकारियों ने बताया था कि जरूरी सभी औपचारिकताएं भी हो चुकी हैं। उन्होंने कहा था कि सरकार टाटा को गुरुवार को एयर इंडिया सौंपी सकती है। 
टाटा समूह के पास पहले से ही दो एयरलाइन कंपनी विस्तार और एयर एशिया है। अब एयर इंडिया भी आ गई है। इसे टाटा समूह की सब्सिडियरी टेलेश प्राइवेट ‎लि‎मिटेड को सौंपा जाएगा1 इस डील में टाटा को ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी एआईएसएटीएस  का 50 फीसदी शेयर भी मिला है। अपने जमाने के दिग्गज उद्योगपति जेआरडी टाटा को एअरलाइन सेक्टर में काफी रूचि थी। उन्होंने 1932 में भारत की पहली एयरलाइन कंपनी शुरू की, जिसे टाटा एअरलाइंस मिला। तब दो लाख रुपए से शुरू यह कंपनी एयर पार्सल ढोती थी। इसकी पहली उड़ान कराची से चेन्नई तक की थी और उसे खुद जेआरडी उड़ा रहे थे। टाटा एअरलाइंस को 1946 में एयर इं‎डिया नया नाम मिला। आजादी के कुछ साल बाद 1953 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया। तब से एयर इंडिया का कंट्रोल सरकार के हाथों में ही रहा। हालांकि जेआरडी टाटा 1977 तक एयर इंडिया के चेयरमैन बने रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के साथ हुए विवाद के बाद जेआरडी टाटा एयर इंडिया से अलग हो गए। टाटा का साथ छूटते ही सरकारी रवैये से इसे चलाना सरकार को भारी पड़ने लगा। 2000 आते-आते इसमे भ्रष्टाचार की खबरें बाहर आने लगीं1 सरकार के लिए एअर इंडिया चलाना सफेद हाथी पालने जैसा मुश्किल साबित हो रहा था1 उसके बाद विभिन्न सरकारों ने एयर इंडिया को संभालने के कई उपाय किए, लेकिन कुछ काम नहीं आया। आ‎खिरकार 28 जून 2017 को एयर इंडिया बेच जाने का ऐलान हो गया।
 

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