नई दिल्ली । पूरी दुनिया में डेल्टा के बाद ओमिक्रॉन के दंश को अभी उबर भी नहीं पायी है। ऐसे में चीन से एक नए वेरिएंट के उभरने की बात सामने आ रही है। इस वेरिएंट को मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (एमईआरएस) का म्यूटेशन बताया जा रहा है। मार्क्स-कोव वह वायरस है, जिसने 2012 और 2015 में मध्य पूर्व के देशों में अपना प्रकोप फैलाया था। नियोकोव नाम के इस वेरिएंट को लेकर वैज्ञानिकों ने चीन में चेतावनी जारी की है। एक अध्ययन से पता चला है कि नियोकोव और इसका करीबी साथी पीडीएफ-2180-कोव चमगादड़ के एंजियोटेंसिन एंजाइम2 और इंसानों के एसीई2 वायरस का इस्तेमाल करके मानव शरीर में प्रवेश कर सकता है। वैज्ञानिकों के चेतावनी दी है कि यह नया कोरोना वायरस एसीई2 रिसेप्टर को कोविड-19 से अलग तरीके से इस्तेमाल कर सकता है। इस वायरस के कारण मृत्युदर भी बहुत ज्यादा हो सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि इससे संक्रमित होने वाले हर तीन लोगों में एक की मौत हो सकती है।
हालांकि नियोकोव वायरस को लेकर कुछ वैक्टर शोध केंद्र के विशेषज्ञों का मानना है चीन के डाटा को देखकर लगता है कि फिलहाल इस वायरस के इंसानों में फैलना का खतरा नहीं लग रहा है। अब तक इस वायरस से इंसानों के संक्रमित होने का कोई मामला सामने नहीं आया है। वैज्ञानिक इसे लेकर और शोध करने में लगे हुए हैं। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस नए वायरस म्यूटेशन की रिपोर्ट को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन इस रिपोर्ट के आते ही दुनिया भर में तनाव का माहौल बन गया है। ओमिक्रॉन को लेकर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नवंबर में चेतावनी जारी की थी और महज 2 महीने के अंदर इसने पूरी दुनिया को अपने घेरे में ले लिया था।
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कोरोना के नए वेरिएंट नियोकोव का खौफ बढ़ा, हर 3 में से 1 संक्रमित तोड़ रहा दम