आतिसार के सामान्य लक्षण - दुष्ट जलीय धातु ,पाचाग्नि को मंद करके मल के साथ मिलकर व्यू के द्वारा प्रेरित अधोमार्ग से प्रचुर मात्रा में बहार निकलता हैं अतएव इस घोर व्याधि को अतिसार कहते हैं।
सशमयापान धातुरग्नि प्रवृद्धः शक्रंमषरो वायूनाधाह प्रणुन्नाः।
सरतयतिवातिसाराम तमाहचर्यार्धिम घोरं षड्विधं तं वदन्ति ।
गूदेन बहुद्रवसरणअतिसारः '
गुद मार्ग के द्वारा अधिक द्रव युक्त मल का निकलना ही अतिसार हैं ,।
अतिशीत अतिसार-
इससे स्पर्श एवं वीर्य उभयविध शीत क होना होता हैं। अतिशीत के कारण आंत्र प्रथम संकुचित हो जाती हैं। किन्तु पुनः उत्तेजित होकर तीव्र गति करने लगती हैं। इस तीव्र गति के कारण श्लेष्मिक कला स्राव भी प्रचुर मात्रा में होता हैं। अतएव मलत्याग भी स्वाभाविक से अधिक बार एवं तरल रूप में होता हैं। ठंड के मौसम में कोल्ड डायरिया होने का डर बना रहता है। सर्दियों में होने वाला डायरिया सामान्य हैजा से अलग होता है। कोल्ड डायरिया बच्चों को सबसे ज्यादा शिकार बनाती है। सर्दियों में बच्चे सबसे ज्यादा कोल्ड डायरिया के शिकार होते हैं। बदलते मौसम का असर सबसे ज्यादा बच्चों पर होता है। सर्दियों में बच्चों की देखभाल का ध्यान रखकर कोल्ड डायरिया से बचाया जा सकता है। ठंड के मौसम में इम्यूनिटी कमजोर होने की वजह से बच्चे कोल्ड डायरिया के शिकार हो जाते हैं।
क्या है कोल्ड डायरिया- जैसे सर्दियों में अन्य बीमारियां होती है। वैसे ही बच्चों को ठंड में कोल्ड डायरिया की बीमारी होती है। डॉक्टर्स के अनुसार 6 महीने से लेकर 5 साल के बच्चों को कोल्ड डायरिया हो सकता है।
जब बच्चों को कोल्ड डायरिया होता है तो उस समय उनको सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार भी होता है। सर्दी-जुकाम के साथ डायरिया होने के कारण इसे कोल्ड डायरिया कहा जाता है। सर्दी के मौसम में होने वाली यह बीमारी बच्चों को बहुत कमजोर बना देती है। कमजोरी की वजह से बच्चों को अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है
कोल्ड डायरिया के लक्षण
सामान्य तौर पर जब बच्चों को सर्दी-जुकाम और खांसी के साथ दस्त की समस्या हो तो यह कोल्ड डायरिया है। मल का एकदम पतला होना ,मल के साथ रक्त या श्लेषमा का होना, अतिसार
बच्चों को कोल्ड डायरिया से कैंसे बचाएं
सर्दियों में बच्चों की विशेष देखभाल करनी चाहिए। हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं की सर्दियों में बच्चों को गुनगुना और तरल पदार्थ वाले खाने अधिक देने चाहिए। बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पानी पीलाना चाहिए। डायरिया या दस्त होने पर मूंग दाल की खिचड़ी के अलावा दही, ओआरएस घोल देते रहना चाहिए
सर्दियों में डिहाइड्रेशन से बच्चों को बचाएं
सर्दियों में बच्चों को डिहाइड्रेशन से बचाना जरूरी होता है। नियमित अंतराल पर बच्चों को पानी पीलाते रहना चाहिए। ठंड में गुनगुना पानी पीलाना ज्यादा फायदेमंद होता है। बच्चे के शरीर में पानी की कमी होने पर डायरिया का खतरा बढ़ जाता है।
बच्चों को उल्टी दस्त व डायरिया से बचाने के उपाय और चिकित्सा-
जायफल और सौंठ को पानी या माता के दूध के साथ घिसकर शहद से चटाये।
अगस्त्य सूतराज रस ५०-१०० मिलीग्राम और त्रिकटु चूर्ण १२५ मिलीग्राम ४ -४ घंटे से देना चाहिए
कर्पूर वटी ३०-६० मिलिगरम चावल के पानी एवं शहद के साथ दिन में तीन चार बार देने से दस्त बंद हो जाते हैं।
उपयोगी योग- बालार्क रस, बाल संजीवन रस, पांच सूत रस, बालचतुरभाद्रका रस।
(लेखक- वाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन )