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 सहकारी समितियां वैकल्पिक न्‍यूनतम कर तथा अधिभार क्रमश: 15 प्रतिशत और 7 प्रतिशत की निम्‍न दर पर भुगतान करेंगी

 सहकारी समितियां वैकल्पिक न्‍यूनतम कर तथा अधिभार क्रमश: 15 प्रतिशत और 7 प्रतिशत की निम्‍न दर पर भुगतान करेंगी

- कर प्रोत्‍साहन पाने के लिए स्‍टार्टअप्‍स तथा नई विनिर्माण कंपनियों के गठन की तिथि एक वर्ष के लिए और बढ़ाई गई  
- नये कर प्रोत्‍साहन आईएफएससी को आकर्षक बनाएंगे
- आय एवं लाभ पर अधिभार एवं उपकर की व्‍यवसाय व्‍यय के रूप में अनुमति नहीं दी गई
नई दिल्ली ।  केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में केन्‍द्रीय बजट 2022-23 पेश करते हुए कहा कि सरकार ने सहकारी समितियों तथा कंपनियों के बीच समान अवसर उपलब्‍ध कराने के लिए सहकारी समितियों के लिए वैकल्पिक न्‍यूनतम कर दर को वर्तमान 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करने का प्रस्‍ताव रखा है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने ऐसी सहकारी समितियों पर अधिभार, जिनकी कुल आय एक करोड़ रुपये से अधिक तथा 10 करोड़ रुपये तक है, वर्तमान में 12 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत करने का भी प्रस्‍ताव रखा है। उन्‍होंने कहा कि इससे सहकारी समितियों तथा इसके सदस्‍यों, जो अधिकांशत: ग्रामीण तथा कृषक समुदायों से हैं, की आय को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

स्‍टार्टअप्‍स को प्रोत्‍साहन
मंत्री ने कहा कि स्‍टार्टअप्‍स हमारी अर्थव्‍यवस्‍था के लिए विकास के प्रेरक के रूप में उभरकर सामने आए हैं और कोविड-19 महामारी के दौरान उनकी सहायता करने के लिए सरकार ने पात्र स्‍टार्टअप के निगमन की अवधिऔर एक वर्ष यानी 31.03.2023 तक बढ़ाने का प्रस्‍ताव रखा है, जिससे कि उन्‍हें निगमन से 10 वर्षों में से क्रमिक तीन वर्षों के लिए कर प्रोत्‍साहन दिया जा सके। 31.03.2022के लिए स्‍थापित पात्र स्‍टार्टअप्‍स को पहले यह सुविधा उपलब्‍ध थी।

नव-निगमित विनिर्माण कंपनियों को प्रोत्‍साहन
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि कुछ घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए वैश्विक रूप से प्रतिस्‍पर्धी कारोबारी परिवेश कायम करने के लिए हमारी सरकार द्वारा नवनिर्मित घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए 15 प्रतिशत कर की रियायती कर व्‍यवस्‍था लागू की गई थी। सरकार धारा– 115बीएबी के अंतर्गत विनिर्माण या उत्‍पादन के आरंभ करने की तिथि को एक वर्ष यानी 31 मार्च 2023 से 31 मार्च 2024 तक बढ़ाने का प्रस्‍ताव रखती है।

आईएफएससी को प्रोत्‍साहन
वित्‍त मंत्री ने कहा कि आईएफएससी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्‍ट्रूमेंट, या किसी ऑफशोर बैंकिंग यूनिट द्वारा जारी ओवर द काउंटर डेरिवेटिव से किसी गैर-निवासी की आय, रॉयल्‍टी तथा जहाज की लीज पर ब्‍याज से आय तथा आईएफएससी में पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सेवाओं से प्राप्‍त आय, विशिष्‍ट शर्तों के अधीन कर से मुक्‍त होगी।

टीडीएस प्रावधानों को युक्तिसंगत बनाना
यह देखा गया है कि कारोबार को बढ़ावा देने की कार्यनीति के रूप में कारोबारी प्रतिष्‍ठानों में अपने एजेंटों को हित लाभ देने की प्रवृत्ति होती है। ऐसे हित लाभ एजेंटों के हाथों में कर योग्‍य होते हैं। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि ऐसे लेन-देन को ट्रैक करने के लिए सरकार हितलाभ देने वाले व्‍यक्ति द्वारा कर कटौती के लिए उपबंध करने का प्रस्‍ताव करती हूं, बशर्त वित्‍त वर्ष के दौरान ऐसे हितलाभों का कुल मूल्‍य 20,000 रुपये से अधिक न हो।

अधिभार का विवेकीकरण
श्रीमती सीतारमण ने बताया कि वैश्विकृत कारोबारी दुनिया में ऐसी अनेक कार्य संविदाएं होती हैं, जिनके निबंधन एवं शर्तों में एक सहायता संघ (कंसोर्टियम) का गठन किया जाना अनिवार्य रूप से अपेक्षित होता है। सहायता संघ के सदस्‍य सामान्‍यतया कंपनियां होती हैं। ऐसे मामलों में इन एओपी की आमदनी पर 37 प्रतिशत तक का श्रेणीबद्ध अधिभार की तुलना में काफी अधिक है। तदनुसार, सरकार ने इन एओपी के अधिभार की उच्‍चतम सीमा 15 प्रतिशत निर्धारित करने का प्रस्‍ताव रखा है। उन्‍होंने बताया कि इसके अतिरिक्‍त, सूचीबद्ध इ‍क्विटी शेयरों, यूनिट्स आदि पर दीर्घावधिक पूंजी अभिलाभों पर 15 प्रतिशत का अधिकतम अधिभार देय होता है, जबकि अन्‍य दीर्घावधिक पूंजी अभिलाभों पर श्रेणीबद्ध अधिभार लगता है, जो 37 प्रतिशत तक हो सकता है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने किसी प्रकार की परिसंपत्तियों के हस्‍तांतरण से उत्‍पन्‍न दीर्घावधिक पूंजी अभिलाभों पर अधिभार को 15 प्रतिशत की उच्‍चतम सीमा तक निर्धारित करने का प्रस्‍ताव रखा है। उन्‍होंने कहा कि ‘‘इस कदम से स्‍टार्ट-अप्‍स को कर लाभ देने के साथ सरकार का यह प्रस्‍ताव आत्‍मनिर्भर भारत के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की पुन:पुष्टि करता है।’’  

कारोबारी व्‍यय के रूप में ‘स्‍वास्‍थ्‍य एवं शिक्षा उपकर’ के संबंध में स्‍पष्‍टीकरण
वित्‍त मंत्री ने कहा कि ‘स्‍वास्‍थ्‍य एवं शिक्षा उपकर’ विनिर्दिष्‍ट शासकीय कल्‍याणकारी कार्यक्रमों के निधियन के लिए करदाता पर एक अतिरिक्‍त अधिभार के रूप में अधिरोपित किया जाता है। परंतु, कुछ न्‍यायालयों ने ‘स्‍वास्‍थ्‍य एवं शिक्षा उपकर’ को कारोबारी व्‍यय के रूप में स्‍वीकृत किया है, जो विधायी अभिप्राय के विरूद्ध है। उन्‍होंने कहा कि विधायी अभिप्राय दोहराने के लिए मैं यह स्‍पष्‍ट करने का प्रस्‍ताव करती हूं कि आय और मुनाफे पर किसी भी अधिभार या उपकर को कारोबारी व्‍यय के रूप में स्‍वीकृत नहीं किया जा सकता है।

कर-वंचन की रोकथाम
श्रीमती सीतारमण ने घोषणा की कि वर्तमान में, तलाशी कार्रवाइयों में पता लगे अप्रकट आय के संबंध में हानि को आगे ले जाकर समंजित करने के संबंध में अस्‍पष्‍टता है। यह पाया गया है कि अनेक मामलों में, जिनमें अप्रकट आमदनी या बिक्री को छिपाने आदि का पता लगता है तो हानि के प्रति समंजन करके कर के भुगतान से बचा जाता है। उन्‍होंने कहा कि निश्चितता लाने और कर-वंचकों में निवारक भयबढ़ाने के लिए मैं यह उपबंध करने का प्रस्‍ताव करती हूं कि तलाशी एवं सर्वेक्षपण कार्रवाइयों के दौरान पता लगे अप्रकट आय के संबंध में किसी भी प्रकार की हानि के प्रति समंजन की अनुमति नहीं दी जाएगी।     
 

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