YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

वर्ल्ड

यूक्रेन पर रूस कभी भी कर सकता है हमला : अमेरिका  -यूक्रेन को नाटो में शामिल किए जाने की कवायद से रूस नाराज

यूक्रेन पर रूस कभी भी कर सकता है हमला : अमेरिका  -यूक्रेन को नाटो में शामिल किए जाने की कवायद से रूस नाराज

वॉशिंगटन । यूक्रेन और रूस के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर पश्चिमी देशों (नाटो) के बीच भी चिंता की रेखाएं देखी जा रही हैं। दोनों तरफ से सैन्य गतिविधि बढ़ गई है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि रूस यूक्रेन पर ‘किसी भी दिन’ हमला कर सकता है। उन्होंने कहा कि संघर्ष की शुरुआत हुई, तो मानवता को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। राष्ट्रपति के वरिष्ठ सलाहकार की यह दूसरी चेतावनी है। इसके पहले अमेरिकी अधिकारियों ने पुष्टि की थी कि रूस ने महीने के मध्य तक अपनी मंशा के अनुरूप कम से कम 70 फीसदी सैन्य साजोसामान एकत्र कर लिया था।
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक इसका मकसद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन के खिलाफ हमला करने का विकल्प मुहैया कराना है। सुलिवन ने कहा, ‘अगर युद्ध छिड़ता है, तो यूक्रेन को बड़ी मानवीय कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन अपनी तैयारियों और प्रतिक्रिया के आधार पर हमारा विश्वास है कि रूस को भी इसके लिए रणनीतिक कीमत चुकानी पड़ेगी।’ उन्होंने सीधे तौर पर उन खबरों का जिक्र नहीं किया, जिसके मुताबिक व्हाइट हाउस ने सांसदों को जानकारी दी है कि रूस आक्रमण करके कीव पर त्वरित कब्जा कर सकता है, जिसमें 50,000 लोग हताहत हो सकते हैं।
सुलिवन ने कहा कि अब भी एक राजनयिक समाधान संभव है। प्रशासन ने हाल के दिनों में चेतावनी दी थी कि रूस तेजी से यूक्रेन के क्षेत्र पर आक्रमण करने का इरादा रखता है। बाइडेन प्रशासन के अधिकारियों ने पिछले सप्ताह कहा था कि खुफिया जानकारी के मुताबिक क्रेमलिन ने यूक्रेन के सुरक्षा बलों द्वारा हमला करने की कहानी गढ़ने के लिए एक विस्तृत साजिश पर काम किया था, ताकि रूस को अपने पड़ोसी के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने का बहाना मिल सके। दूसरी तरफ इस पूरे मामले पर रूस का कहना है कि वह यूक्रेन पर हमला या कब्जा करने इरादा नहीं रखता है। उसने सीमा पर एक लाख सैनिकों की तैनाती को अपनी खुद की सुरक्षा चिंताओं से जोड़ा है। साथ ही अमेरिका और उसके नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन नाटो से प्रमुख मांगे की हैं। इनमें कहा गया है कि यूक्रेन को नाटो में शामिल ना किया जाए और पश्चिमी देश पूर्व की तरफ अपना विस्तार ना करें। हालांकि अमेरिका और नाटो दोनों ने ही ये मांगें मानने से इनकार कर दिया है। रूस और यूक्रेन संकट के समाधान के लिए अमेरिका और रूस के अधिकारी कई बैठकें भी कर चुके हैं।
इन हालात में भी अभी तक यह तय नहीं है कि जर्मनी रूस के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करेगा भी या नहीं। इस वजह से पश्चिमी मीडिया जर्मनी को एक गैर भरोसेमंद सहयोगी के तौर पर देख रहा है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज सोमवार को जो बाइडेन से मिलने वॉशिंगटन जा रहे हैं। माना जा रहा है कि रूस-यूक्रेन में तनाव पर जर्मनी ने जो चुप्पी साध रखी है, वह अब टूट जाएगी। ओलाफ बड़ा संदेश भी दे सकते हैं, क्योंकि रूस-यूक्रेन तनाव पर उनके उलझे हुए रवैये को लेकर जर्मनी की काफी आलोचना हो रही है। विवाद ये है कि यूक्रेन, नाटो का सदस्य देश बनना चाहता है। रूस इसका विरोध कर रहा है। दरअसल नाटो, अमेरिका और पश्चिमी देशों का एक सैन्य गठबन्धन है। रूस ये नहीं चाहता कि उसका पड़ोसी देश यूक्रेन नाटो का मित्र देश बन जाए। इस पूरे विवाद ने एक नए युद्ध की आशंका को जन्म दे दिया है, जिसमें एक से ज्यादा देश हिस्सा ले सकते हैं। इसके अलावा काला सागर में भी रूस ने अपने युद्धपोत तैनात किए हुए हैं, जो ख़तरनाक मिसाइल से लैस हैं। काला सागर, यूक्रेन की सीमा से लगता है। यहीं पर क्रिमिया नाम का क्षेत्र भी है, जो 2014 तक यूक्रेन के पास था। लेकिन बाद में रूस ने इस पर कब्जा कर लिया। इस समय भी इस क्षेत्र पर उसका नियंत्रण है।
 

Related Posts