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'वे जब दिन को रात कहें तो तुरंत मान लो अगर नहीं माने तो वे दिन में नकाब ओढ़ लेगे' - प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर किया कटाक्ष  

'वे जब दिन को रात कहें तो तुरंत मान लो अगर नहीं माने तो वे दिन में नकाब ओढ़ लेगे' - प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर किया कटाक्ष  

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के बजट सत्र में राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर अपने जवाब के दौरान सबसे पहले सुरों की मलिका लता मंगेशकर को श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, "देश ने लता जी को खो दिया। जिनकी आवाज ने देश को मंत्रमुग्ध और प्रेरित किया। उन्होंने 36 भाषाओं में गाया, यह देश की एकता और अखंडता की मिसाल है। आज मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।"

कांग्रेस पर गरजे 

इसके बाद प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की उपलब्धियां तो गिनाई ही किन्तु कांग्रेस पर भी जमकर शब्दों की मिसाइलें छोड़ीं। ऐसा लगा प्रधानमंत्री कांग्रेस को आईना दिखाने का  प्रण करके सदन में आये थे। यूपी चुनाव को देखते हुए उम्मीद थी कि मोदी इस मौके पर सपा और अन्य विपक्ष को भी लपेटे में लेंगे किन्तु उनका निशाना कांग्रेस पर था।  उन्‍होंने कांग्रेस पार्टी पर अपना अहंकार को नहीं छोड़ने का आरोप लगाया। पीएम मोदी ने कहा कि 'इतनी हारों के बाद भी आपका अहंकार बना हुआ है और आप इससे पीछा नहीं छुड़ा पा रहे। ' पीएम के इस संबोधन के दौरान लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बाधा डालने और कुछ कहने का का प्रयास किया तो पीएम ने एक शेर के जरिये कांग्रेस पर हमला बोला। उन्‍होंने कहा...  
 
वह जब दिन को रात कहें तो तुरंत मान लो
अगर नहीं माने तो वे दिन में नकाब ओढ़ लेगे 
जरूरत हुई तो हकीकत को थोड़ा बहुत मरोड़ लेंगे 
वे मगरूर है खुद की समझ पर बेइंतहा 
उन्‍हें आईना मत दिखाओ, वे आईना भी तोड़ देंगे...

कांग्रेस के रवैये पर सवाल उठाया

पीएम ने कोरोना काल के दौरान कांग्रेस के रवैये पर भी सवाल उठाया। उन्‍होंने कहा, 'कोरोना वायरस वैश्विक महामारी है लेकिन कुछ ने राजनीतिक लाभ के लिए इसका भी इस्‍तेमाल किया। कोरोना काल में तो कांग्रेस  ने हद कर दी।आलोचना किसी भी लोकतंत्र की खास पहचान है लेकिन  'अंधा विपक्ष' लोकतंत्र के अपमान की तरह है।'
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोग अब आपको (कांग्रेस को) 'पहचानने' लगे हैं। कुछ पहले से ही पहचान चुके हैं और कुछ भविष्‍य में पहचान जाएंगे। 50 साल तक आपको यहां बैठने (सत्‍ता पक्ष में) बैठने का मौका मिला है। तो इस दिशा में क्‍यों नहीं सोचते? जिस तरह वे (कांग्रेस) बोलते हैं ऐसा लगता है कि 100 साल तक सत्ता में नहीं आना है, जब आपने ही यह तय कर लिया तो मैंने भी तैयारी कर ली है। पीएम ने कहा कि नगालैंड के लोगों ने आखिरी बार 1988 में कांग्रेस के लिए वोट किया। ओडिशा ने 1995, गोवा ने 1994 में आपको वोट किया था। आपने एकल रूप से बहुत हासिल किया लेकिन उसके बाद से गोवा ने आपको स्‍वीकार नहीं किया। पीएम ने कहा कि मुद्दा केवल चुनाव नतीजों का नहीं है। यह इनके इरादों का है। सवाल यह उठता है कि इतने वर्ष तक सत्‍ता में रहने के बाद देश के लोग अब इन्‍हें लगातार खारिज क्‍यों कर रहे हैं। 'जो इतिहास से सबक नहीं लेते, वे इतिहास में खो जाते हैं। 1960-80 के दशक तक नेहरू और इंदिरा जी को टाटा-बिड़ला की सरकार कहा जाता था।' आपने निश्चय कर लिया है कि आप जिन मुद्दों से जुड़े हैं, उनसे 100 साल तक सत्ता में नहीं आने वाले हैं। आप को क्या हुआ? आप कहां हैं? इतने सारे राज्य, कोई आपको प्रवेश नहीं करने दे रहा। 

कांग्रेस को टुकड़े-टुकड़े गैंग का लीडर बताया

पीएम ने कांग्रेस को टुकड़े-टुकड़े गैंग का लीडर तक बता डाला। नरेंद्र मोदी ने कहा "मैं हैरान हूं कि कांग्रेस कर्तव्य की बात से बौखला गई है। आप कहते रहते हैं कि 'मोदीजी नेहरूजी का नाम नहीं लेते'। कर्तव्यों पर, पंडित नेहरू ने कहा, 'मैं आपको बताना चाहता हूं, यह एक स्वतंत्र भारत है। हम आजादी का जश्न मनाते हैं, लेकिन आजादी के साथ जिम्मेदारी भी आती है।' यह देश एक और सर्वश्रेष्ठ है और इसी विश्वास के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं।" कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "अंग्रेजों ने देश छोड़ दिया है लेकिन फूट डालो और राज करो का विचार कांग्रेस के डीएनए में है, यही कारण है कि वे 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' की लीडर बन गई है। जब सीडीएस रावत की मृत्यु हुई, लाखों तमिल कतार में प्रतीक्षा में कर रहे थे और जब उनका शरीर गुजरा, तो तमिलों को 'वीरी वडक्कम' कहते हुए सुना गया। यह मेरा देश है। बंगाली, मराठी, तमिल, आंध्र, उड़िया, असमिया, मलयाली, सिंधी, पंजाबी, कन्नड़ और हिंदुस्तानी ने सैकड़ों वर्षों से अपनी अलग पहचान बनाई है। यह पंडित नेहरू की डिस्कवरी ऑफ इंडिया में है। सदन का अपमान किया गया कि राष्ट्र शब्द हमारे संविधान में नहीं आता। राष्ट्र शासन या सरकार की व्यवस्था नहीं है। यह हमारे लिए एक जीवित आत्मा है। हजारों सालों से लोग इससे जुड़े हैं।"

पंडितजी ने मंहगाई के आगे हार मान ली थी

महंगाई पर पीएम ने कहा कि पंडित जी ने लाल क़िले से क्या कहा था। कभी कभी कोरिया में लड़ाई भी हमें प्रभाव करती है, जिसके कारण वास्तु की कीमत बढ़ जाती है और यह हमारे नियंत्रण से बहार चला जाता है। आगे कहते हैं कि अगर अमेरिका में भी कुछ हो जाता है तो इसका असर महंगाई पर पड़ता है। अगर वह अभी यहां होते तो पार्टी महंगाई के लिए महामारी को जिम्मेदार ठहराती, लेकिन हम इससे निपट रहे हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री ने मंहगाई के आगे हार मान ली थी। महामारी के बावजूद इंफ्लेशन दर 5।2% थी और खाद्य इंफ्लेशन लगभग 3% थी। हमने सुनिश्चित किया कि महामारी के दौरान भी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान न छूएं। यूपीए सरकार के दौरान महंगाई दोगुने अंकों में थी। पी चिदंबरम, जो अब कॉलम लिखते हैं, ने 2012 में कहा था कि लोग पानी की बोतलों और बिस्कुट की कीमतों से सहमत हैं, लेकिन अनाज की कीमत में 1 रुपये की भी बढ़ोतरी पंसद नहीं करते। जो इतिहास से सबक नहीं लेते, वो इतिहास में खो जाते हैं। 60 से 80 के दशक तक नेहरू इंदिरा जी को टाटा बिरला की सरकार कहा जाता था। कांग्रेस सरकार के पांच साल में देश में महंगाई दहाई अंक में थी। सरकार ने माना कि महंगाई नियंत्रण से बाहर थी। साल 2011 में, तत्कालीन वित्त मंत्री ने बेशर्मी से कहा था कि 'अलादीन के चिराग (दीपक) से महंगाई कम होने की उम्मीद मत करो। कांग्रेस नेता महंगाई के प्रति असंवेदनशील थे। मुद्रास्फीति को कम करना हमारा प्राथमिक उद्देश्य था।  आपके लिए फाइल ही सब कुछ थी, हमारे लिए 130 करोड़ की जिंदगी मायने रखती है। तुम फाइलों में खो गए थे, हमने जिंदगियों पर ध्यान दिया। जो लोग जीवन भर महलों में रहे हैं, उन्हें छोटे किसानों की चिंता नहीं है।

'मेक इन इंडिया' का मतलब है कोई कमीशन नहीं

पीएम ने कहा कि पिछली सरकारें जो 50 साल चलती थीं, नए उपकरण की प्रक्रिया सालों चलती थीं और अंतिम निर्णय के दौरान वह पुरानी हो जाती थी। हमने इस प्रक्रिया को सरल बनाया है। रक्षा क्षेत्र के सभी लंबित मुद्दे, हमने हल करने का प्रयास किया। पहले हम रक्षा उपकरणों के लिए दूसरे देशों को देखते थे, स्पेयर पार्ट्स के लिए भी हम दूसरे देशों पर निर्भर थे। देश के रक्षा क्षेत्र में आत्मानिर्भर होना राष्ट्रीय सेवा है। 'मेक इन इंडिया' का मतलब है कोई कमीशन नहीं, कोई भ्रष्टाचार नहीं, इसलिए विपक्ष इसे निशाना बना रहा है। आज पंचिंग बैग बदल गया है लेकिन इरादा अब भी वही है। कांग्रेस के पास ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि उद्यमी कोरोना वायरस का ही एक रूप हैं। कुछ लोग मोदी मोदी मोदी कहते रहते हैं। आप मोदी के बिना एक मिनट भी नहीं बिता सकते। जिन्हें योग का अभिमान नहीं है, आपने उनका भी मज़ाक उड़ाया है। आप महात्मा गांधी का नाम लेते हैं। अगर मैं लोकल के लिए वोकल चैंपियन हूं, तो क्या आप नहीं चाहते कि भारत आत्मनिर्भर बन जाए? आप नहीं चाहते कि महात्मा गांधी के सपने सच हों। 

मैं हैरान हूं कि कांग्रेस कर्तव्य की बात से बौखला गई है

पीएम ने कहा, 'मैं हैरान हूं कि कांग्रेस कर्तव्य की बात से बौखला गई है। आप कहते रहते हैं कि 'मोदीजी नेहरूजी का नाम नहीं लेते'। कर्तव्यों पर, पंडित नेहरू ने कहा, 'मैं आपको बताना चाहता हूं, यह एक स्वतंत्र भारत है। हम आजादी का जश्न मनाते हैं, लेकिन आजादी के साथ जिम्मेदारी भी आती है।' यह देश एक और सर्वश्रेष्ठ है और इसी विश्वास के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी है लेकिन कुछ ने राजनीतिक लाभ के लिए इसका भी इस्‍तेमाल किया। कोरोना काल में तो कांग्रेस  ने हद कर दी। आज भारत टीकाकरण की 100 फीसदी पहली डोज  और 80 फीसदी दूसरी डोज के लक्ष्‍य के करीब है। उन्‍होंने कहा कि आलोचना किसी भी लोकतंत्र की खास पहचान है लेकिन  'अंधा विपक्ष' लोकतंत्र के अपमान की तरह है। भारत की जनता सदियों से लोकतंत्र का पालन कर रही, विपक्ष लोकतंत्र का अपमान कर रहा है।

गरीबों के पास भी अब बैंक अकाउंट है

सरकार की उपलब्धि बताते हुए पीएम ने कहा कि गरीबों के पास भी अब बैंक अकाउंट है। सरकार की राशि सीधे उनके खाते में पहुंच रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने कोरोना की महामारी के दौर में भी किसानों को परेशानी नहीं होने दी। पीएम ने कहा कि कोरोना काल की चुनौतियों के बाद विश्व में एक नई व्यवस्था बनती दिख रही है। उन्होंने महामारी की पहली लहर के दौरान प्रवासी श्रमिकों को शहरों को छोड़ने के लिए उकसाकर कोविड फैलाने का आरोप लगाते हुए विपक्ष पर भी तीखा हमला किया।

दरअसल, संसद का 2022 का बजट सत्र 31 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ। बजट सत्र का पहला भाग 31 जनवरी से 11 फरवरी तक और दूसरा भाग 14 मार्च से 8 अप्रैल तक चलेगा। लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अमृत काल तक भारत के विकास में सक्रिय योगदान का समय है। आइए, नया संकल्प लें और अपने पिछले अंतराल को पाटने और देश के विकास के लिए काम करने के लिए एक बनें। 
 

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