YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

इकॉनमी

चुनाव खत्म होते ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आने वाला है बड़ा उछाल! 

चुनाव खत्म होते ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आने वाला है बड़ा उछाल! 

नई दिल्ली । पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों को लेकर हैरान जनता को चुनाव बाद एक और झटका लगने वाला है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल (क्रूड) कीमत में भारी उछाल के बावजूद देश में करीब तीन महीने से पेट्रोल (पेट्रोल) और डीजल की कीमत में कोई बदलाव नहीं आया है। लेकिन यह स्थिति ज्यादा दिनों तक रहने वाली नहीं है। उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों-2022 के बाद देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत में भारी उछाल आ सकता है। सोमवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत 94 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई। जब कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन ने दस्तक दी थी तो कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आई थी। एक दिसंबर को इसकी कीमत 69 डॉलर पर आ गई थी जो चार नवंबर को 81 डॉलर थी। लेकिन ओमिक्रोन का खतरा कम होते ही इसमें फिर तेजी आई है। यूक्रेन और रूस के बीच जारी तनाव भी इसका प्रमुख कारण है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में चार नवबंर के बाद 12 डॉलर प्रति बैरल यानी 15 फीसदी की तेजी आई है जबकि इस दौरान देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इकनॉमिस्ट सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि घरेलू तेल कंपनियों का यह व्यवहार पॉलिटिक्स पर आधारित है, इकनॉमिक्स पर नहीं। अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें इस स्तर पर बनी रहती हैं तो हमें चुनाव के बाद बड़ा झटका झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए।
सिन्हा ने कहा कि चुनावों के बाद घरेलू तेल कंपनियों पेट्रोल-डीजल की कीमत में भारी बढ़ोतरी कर सकती हैं ताकि अभी हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सके। इसका महंगाई पर व्यापक असर होगा। कंज्यूमर्स के लिए कीमतों में एक साथ भारी बढ़ोतरी के बजाय रोज-रोज होने वाले मामूली बदलाव को झेलना आसान है। एक साथ कीमतों में भारी तेजी से ट्रांसपोर्ट कॉस्ट बढ़ जाती है और इससे बाकी चीजें भी महंगी हो जाती है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के चेयरमैन एमके सुराना ने पिछले हफ्ते कहा कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मुताबिक होंगी लेकिन कीमतों में रोज होने वाले बदलाव से उपभोक्ताओं को असुविधा होगा। इसकी वजह यह है कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भारी उतारचढ़ाव हो रहा है। अभी घरेलू कंपनियां इसे उपभोक्ताओं पर नहीं डाल रही है जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक रेटिंग एजेंसी के चीफ इकनॉमिस्ट डीके जोशी ने कहा कि सरकार ड्यूटी में कटौती के साथ कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती है। सरकार ने नवंबर में ड्यूटी में कटौती की थी। लेकिन तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई बेकाबू हो सकती है। इससे ब्याज दरें और इकनॉमिक रिकवरी प्रभावित हो सकती है। जोशी ने कहा कि आरबीआई को मॉनिटरी पॉलिसी के जरिए इस पर कदम उठाने होंगे क्योंकि उनके पास महंगाई का एक टारगेट है। कुछ देशों में सेंट्रल बैंक्स तेल के कारण बढ़ी महंगाई को काबू में करने के लिए उपाय करने शुरू कर दिए हैं। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इससे निपटने के लिए पॉलिसी रेट में बढ़ोतरी के बजाय ड्यूटी में कटौती बेहतर उपाय है।
 

Related Posts