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देश में ओमिक्रॉन को मात देने वाला टीका भी तैयार

देश में ओमिक्रॉन को मात देने वाला टीका भी तैयार

नई दिल्ली । महामारी कोरोना से बचाव के लिए जारी अभियान में देश ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। कोरोना के सबसे नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को मात देने वाला टीका भी देश ने बना लिया है। केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ विशेषज्ञ ने यह जानकारी दी है। इसमें भी खास बात ये है कि यह टीका एमआरएनए आधारित है। यानि, वह तकनीक जो कोरोना सभी वेरिएंट से मुकाबले के मामले में अब तक सबसे प्रभावी पाई गई है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉक्टर वीके पॉल ने कहा, ‘हम जेनोवा की एमआरएनए आधारित वैक्सीन पर करीबी निगाह रख रहे हैं। यह पूरी तरह स्वदेशी है। इसे एक से दूसरी जगह पहुंचाने में आसानी रहती है। साथ ही यह सामान्य तापमान में भी सुरक्षित रह सकती है। अमेरिका, आदि में उपलब्ध अन्य एमआरएनए आधारित वैक्सीन की तरह अतिरिक्त ठंडे वातारण की जरूरत इसे नहीं होती। इसका उत्पादन तेजी से और अधिक मात्रा में हो सकता है। साथ ही, जरूरत पड़ने पर इसमें संशोधन कर नए कोरोना वेरिएंट से मुकाबले के लिए इसे उन्नत भी किया जा सकता है।’
डॉक्टर पॉल ने बताया, ‘जेनोवा जो टीका बना रही है, उसका अभी परीक्षण चल रहा है। जल्द ही अंतिम चरण के परीक्षण पूरे हो सकते है। इसी बीच कंपनी ने ओमिक्रॉन को ध्यान में रखते हुए अपने मूल टीके में जरूरी बदलाव भी कर लिए हैं। मतलब, कंपनी समानांतर रूप से दो कोरोना टीकों को विकसित कर चुकी है। यह गर्व की बात है कि एक भारतीय कंपनी ने यह सफलता हासिल की है।’ डॉक्टर पॉल ने कहा, ‘एमआरएनए तकनीक पर आधारित टीके का भारत में विकास वर्तमान ही नहीं भविष्य के लिहाज से भी बेहद महत्त्वपूर्ण है। कोरोना और उसके उसके ओमिक्रॉन वेरिएंट ही नहीं, मलेरिया, डेंगू जैसी कई मौजूदा बीमारियों के लिए असरकारक दवा, टीका बनाने के लिए भी यह तकनीक कारगर है। साथ ही भविष्य में सामने आने वाली कोरोना जैसी अन्य बीमारियों के लिहाज से भी। एमआरएनए तकनीक पर आधारित स्वदेशी टीके का विकास भारत के लिए बड़ी पूंजी है।’
 

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