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 कोरोना को लेकर सरकार गंभीर, 15 साल से कम के बच्चों के लिए जल्द शुरू हो सकता है टीकाकरण -केंद्र सरकार करवा रही अध्ययन

 कोरोना को लेकर सरकार गंभीर, 15 साल से कम के बच्चों के लिए जल्द शुरू हो सकता है टीकाकरण -केंद्र सरकार करवा रही अध्ययन

नई दिल्ली । केंद्र सरकार कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर काफी गंभीर है। सरकार अब 15 साल से कम उम्र के बच्चों के कोविड टीकाकरण का विचार कर रही है। इसके लिए वैज्ञानिक अध्ययन चल रहा है। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने यह जानकारी देते हुए कहा कि हमारा मेन फोकस कोरोना वैक्सीन की कवरेज को बढ़ाना है। डॉ. पॉल ने बताया कि हम उन लोगों को टीकाकरण के दायरे में लाने पर काम कर रहे हैं जिन्हें वैक्सीन की पहली डोज भी नहीं लगी है। 60 साल से कम उम्र के ऐसे लोग जिनका वैक्सीनेशन हो चुका है, उनके लिए बूस्टर डोज पर भी विचार चल रहा है, लेकिन इसका निर्णय साइंटिफिक स्टडी के आधार पर ही किया जाएगा। कोविड की पाबंदियों की वजह से बच्चों की पढ़ाई का काफी नुकसान हो रहा है। इसी को देखते हुए स्कूल-कॉलेजों में फिजिकल क्लास शुरू करने की मांग लगातार तेज हो रही है। कई राज्यों में तो छोटे बच्चों के लिए स्कूल कोविड की पहली लहर के बाद से ही बंद हैं। सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाई ही हो पा रही है। लेकिन सभी बच्चों तक इसकी पहुंच नहीं है। ऐसे में मांग की जा रही है कि जल्द से जल्द बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू किया जाए ताकि वो स्कूल में जाकर पढ़ाई कर सकें।
15 साल से 18 साल तक के बच्चों का टीकाकरण शुरू हो चुका है। अब 12 साल के बच्चों को इसके दायरे में लाने की कवायद चल रही है। टीकाकरण के लिए उम्र सीमा घटाने की सरकार की तैयारी से जुड़े सवाल पर डॉ। पॉल ने बताया कि अभी कई चीजों पर गौर किया जा रहा है, जिनमें ये भी देखा जा रहा है कि कितनी वैक्सीन की और जरूरत पड़ेगी, कितनी आबादी का टीकाकरण बाकी है। इसके अलावा, वयस्कों के लिए वैक्सीन की बूस्टर डोज की भी मांग हो रही है। लोगों में डर है कि वैक्सीन लगवाए हुए उन्हें कई महीने हो चुके हैं और समय के साथ कोरोना वायरस के प्रति उनकी इम्यूनिटी कमजोर पड़ रही है। ऐसे में वैक्सीन की बूस्टर डोज से नई ताकत मिल सकती है। कई देशों में बूस्टर डोज लगाने का काम तेजी से चल रहा है। इस बारे में नीति आयोग के सदस्य डॉ. पॉल ने कहा कि हम कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लेंगे। दूसरी जगहों पर क्या हो रहा है, हम उसके आधार पर निर्णय नहीं करते। हम अपने यहां की परिस्थिति के आधार पर फैसला लेते हैं। और उस पर काम चल रहा है।
 

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