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संसद में चुनावी गूंज !  

संसद में चुनावी गूंज !  

देश में पंजाब, मणिपुर, गोवा, उतराखंड एवं उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधान सभा होने जा रहे है है। इस चुनाव की गूंज संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलते हुये प्रधानमंत्री की आवाज में चुनावी गूंज उभर कर सामने आई जहां विपक्ष पर प्रहार करते हुये विशेष रूप से कांग्रेस को आरोपों के कठघरे में खड़ा करते हुये कहा कि कांग्रेस तोड़ फोड़ की राजनीति करती है। कांग्रेस नहीं होती तो देष में सिख दंगे नहीं हुये होते। इस परिपगेक्ष्य में 1984 में कांग्रेस के सत्ता कार्यकाल में हुये सिख दंगे की राजनीति कर पंजाब में होने जा रहे विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के राजनीतिक ग्राफ को गिराकर पूर्णरूप से चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने की मंषा साफ - साफ उजागर हो रही है। इसी तरह गोवा चुनाव को भी प्रभावित करने के स्वर गोवा के प्रति कांग्रेस के प्रतिकूल भाव को उजागर कर राजनीतिक लाभ लेने की दिशा में उभरते नजर आ रहे है। इसी परिप्रेक्ष्य में गोवा एवं पंजाब में आप के बढ़ते कदम को रोकने की दिशा में कोविड काल में दिल्ली में आप सरकार के नकरात्मक कदम जिससे पलायन को गति मिलल, बताया गया जिसका जबाब देते हुये दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने प्रेस वार्ता के माध्यम से कहा कि देष एवं प्रदेष के सर्वोच्य पद पर विराजमान व्यक्तित्व को एक दूसरे पर आरोप लगाने की प्रक्रिया से बचना चाहिए। कोविडकाल में सभी ने सहयोग किया है। इस मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। आप पार्टी  राजनीति के बदले विकास कायै को महत्व देते आई है। हिन्दुत्व पर उभरे प्रश्न पर केजरीवाल ने कहा कि जनता की सेवा करना ही सच्चा हिन्दुत्व है।  
संसद में वर्तमान सरकार को महंगाई के मुददें पर कांग्रेस के आरोप का जबाब देते हुये प्रधानमंत्री ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री एवं कांग्रेस नेता पं. जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में महंगाई के प्रति उनके उभरे विचार का उल्लेख करते हुये कहा कि महंगाई पर विदेश की परिस्थिति भी प्रभावित करती है।  
 इस बार के विधानसभा चुनाव में हिन्दु, हिन्दुत्व से जुड़े मुद्दे, दंगे, आरोप - प्रत्यारोप आदि भावनात्मक भाव को उजागर कर राजनीति लाभ लेने के प्रयास सभी राजनीतिक दल कर रहे है। इस तरह के मामले को लेकर संसद में इस बार पक्ष विपक्ष दोनों ओर से चुनावी गूंज उभर कर सामने नजर आ रही है। जैसे जैसे चुनाव की तिथि नजर आती जा रही है, इस तरह के सांप्रदायिक भाव ज्यादा ही उभर कर सामने आ रहे है। चुनाव को प्रभावी करने एवं आमजन मानस को अपनी ओर आकर्शित कर चुनावी लाभ लेने के उदेष्य से सभी लुभावनी घोशणा करने में जुड़े नजर आ रहे है।  

(लेखक-डॉ. भरत मिश्र प्राची )
 

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