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दिल्ली एम्स में बनेगी स्टेम सेल रजिस्ट्री

दिल्ली एम्स में बनेगी स्टेम सेल रजिस्ट्री

 देश की पहली सरकारी स्टेम सेल रजिस्ट्री जल्द ही एम्स में बनाई जाएगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक योजना तैयार की है। इस रजिस्ट्री के बन जाने से मरीज और डोनर की स्टेम सेल की मैचिंग में लगने वाले समय और इलाज की कुल लागत में खासी कमी आने की उम्मीद है। आनुवांशिक रक्त विकार थैलेसीमिया, अप्लास्टिक एनीमिया और कुछ कैंसर के मामलों में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट एक कारगर इलाज है। हालांकि, अक्सर ट्रांसप्लांट के लिए मरीज से मिलते स्टेम सेल की खोज में समय लग जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फिलहाल मरीज के सामने आने के बाद उससे मैचिंग डोनर की तलाश की जाती है। कई बार एक लाख लोगों के बीच में भी एक मैचिंग डोनर नहीं मिलता है। ऐसे में जिन मरीजों के पास पैसा है वो विदेशों से डोनर बुला लेते हैं, क्योंकि विदेशों में कई स्टेम सेल रजिस्ट्री मौजूद हैं। हालांकि, यह मरीज के लिए काफी महंगा पड़ता है। 
वहीं, गरीब मरीज इलाज से वंचित रह जाता है। अधिकारी ने कहा कि अब हम एक विश्वस्तरीय स्टेम सेल रजिस्ट्री एम्स में ही तैयार करने जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय का पदभार संभालने के बाद डॉ. हर्षवर्धन ने इसे जल्द से जल्द शुरू करने के निर्देश दिए हैं। इसके तैयार होने के बाद हम मरीज की जांच के बाद कुछ ही मिनटों में डोनर को ला सकेंगे। इससे डोनर को खोजने में लगने वाले समय में कमी आएगी। साथ ही चूंकि डोनर को कोई भुगतान नहीं करना होगा, इसलिए इलाज के लागत में भी कमी होगी। मालूम हो, गंभीर बीमारियों का बेहद कारगर इलाज होने के बावजूद देश में सालाना लगभग दो हजार स्टेम सेल ट्रांसप्लांट ही होते हैं। जबकि एक अनुमान के मुताबिक, देश में सालाना 80 हजार से एक लाख स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की जरूरत है। अधिकारी ने कहा कि इस व्यवस्था के शुरू होने के बाद काफी संख्या में मरीजों को फायदा मिल सकेगा।

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