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 आठ साल बाद 100 डॉलर सीमा छूने वाला है कच्चा तेल, इससे गिरेगी विकास दर, बढ़ेगी महंगाई  

 आठ साल बाद 100 डॉलर सीमा छूने वाला है कच्चा तेल, इससे गिरेगी विकास दर, बढ़ेगी महंगाई  

नई दिल्ली । अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 100 डॉलर पहुंचने वाला है। 2014 के बाद यह पहली बार है, जब कच्चा तेल इस स्तर पर पहुंचने वाला है। दुनियाभर में महामारी से जुड़ी पाबंदियां हटने के बाद कारोबारी गतिविधियों में तेजी से कच्चे तेल की मांग लगातार बढ़ रही है। इससे कच्चे तेल में और तेजी की आशंका जताई जा रही है। कच्चे तेल में तेजी में न सिर्फ दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर को झटका लगेगा, बल्कि महंगाई भी बेतहाशा बढ़ेगी। इसका सीधा असर आम लोगों के जीवन पर पड़ेगा। यह अमेरिकी फेडरल रिजर्व के साथ दुनियाभर के केंद्रीय बैंको के लिए भी चिंताजनक है, क्योंकि बैंक अब भी अर्थव्यवस्था को महामारी के दबाव से उबारने की कोशिश कर रहे हैं। जी-20 के वित्त प्रमुख इस साल पहली बार इस सप्ताह बैठक करने जा रहे हैं। इसमें महंगाई सबसे प्रमुख चिंता का विषय है।
कच्चे तेल की कीमतों का असर अर्थव्यवस्थाओं पर पहले से ज्यादा होने वाला है। कंपनियों और उपभोक्ताओं दोनों के बिल में बढ़ोतरी होगी। खाने के साथ परिवहन और तमाम चीजों की कीमतें बढ़ जाएंगी। ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स के शॉक मॉडल के अनुसार, इस महीने के अंत तक कच्चे तेल के 100 डॉलर पहुंचने से अमेरिका और यूरोप में महंगाई लगभग आधा फीसदी बढ़ जाएगी। जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी का कहना है कि 150 डॉलर प्रति बैरल तक की तेजी वैश्विक ग्रोथ को लगभग रोक देगी। महंगाई को 7 फीसदी से अधिक तक पहुंचा देगी।
कच्चा तेल पिछले साल से अब तक 30 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ चुका है। 2021 की शुरुआत में वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल के आसपास थी, जो इस महीने के अंत तक 100 डॉलर प्रति बैरल पहुंच जाएगी। आमतौर पर कच्चे तेल में 10 डॉलर की तेजी से अर्थव्यवस्था की विकास दर में 0।33 फीसदी की गिरावट आती है। इस महीने के अंत तक कच्चे तेल में 30 डॉलर प्रति बैरल तक की बढ़ोतरी से वृद्धि दर में करीब एक फीसदी की गिरावट आएगी। इसका चौतरफा असर देखने को मिलेगा।
तेल, कोयला और प्राकृतिक गैस वैश्विक अर्थव्यवस्था को 80 फीसदी से अधिक ऊर्जा प्रदान करते हैं। कंसल्टेंसी गावेकल रिसर्च लिमिटेड के अनुसार, इनमें से एक की लागत अब एक साल पहले की तुलना में 50 फीसदी से अधिक है। ऊर्जा की कमी ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में चल रहे दबाव को भी बढ़ा दिया है, जिससे लागत बढ़ गई है। गोल्डमैन सॉक्स ग्रुप इंक का अनुमान है कि 50 फीसदी की वृद्धि से प्रमुख महंगाई औसतन 60 आधार अंक बढ़ जाएगी, जिसमें उभरती अर्थव्यवस्थाएं सबसे अधिक प्रभावित होंगी।
 

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