बीजिंग । दुनिया में अपनी धाक जामाने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को अपने हथियारों को टेस्ट करने का आदेश दिया है। जिसके बाद चीनी सेना ने पूरे देश में बड़े पैमाने पर वास्तविक युद्ध की स्थितियों में अपनी सैन्य उपकरण प्रणाली की टेस्टिंग शुरू भी कर दी है। इतने बड़े पैमाने पर चीन के हथियारों के परीक्षण पर ताइवान सतर्क हो गया है। यूक्रेन संकट के बीच चीनी सेना के हथियारों की टेस्टिंग पर कई सवाल भी उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि शी जिनपिंग ने हाल में ही सैन्य उपकरणों के परीक्षण और आकलन को लेकर एक आदेश पर हाल में ही हस्ताक्षर किए हैं। इस आदेश में प्रभावी, युद्ध की तैयारी के लिए हथियारों की टेस्टिंग पर जोर दिया गया है। चीन की सरकारी मीडिया की खबर के अनुसार, संबंधित नियमावलियों में पीएलए के इस्तेमाल किये जाने वाले सैन्य उपकरणों के लिए उच्च मानक रखे गये हैं ताकि सेना की युद्धक क्षमताओं को मजबूत किया जा सके। चीनी सेना ने हाल के दशक में अपनी सैन्य शक्ति का जबरदस्त विस्तार किया है। चीनी नौसेना संख्या के मामले में दुनिया में सबसे बड़ी है। वहीं, चीनी वायु सेना भी तेजी से अपनी ताकत बढ़ा रही है। चीन के पास पांचवे जेनरेशन का जे-20 लड़ाकू विमान भी है।
सरकारी समाचार ने चीनी सेना के विशेषज्ञ और टीवी कमेंटेटर सोंग झोंगपिंग के हवाले से कहा है कि नये नियम ऐसे समय आए हैं जब चीन वैश्विक सुरक्षा ढांचों में व्यापक बदलाव का सामना कर रहा है और संभावित सैन्य हमलों के लिए अपनी तैयारी बढ़ा रहा है। सोंग ने कहा कि वास्तविक युद्ध की स्थिति में हथियारों और सैन्य उपकरणों की इच्छित भूमिका के मद्देनजर उनका परीक्षण युद्धभूमि की स्थितियों के अनुकूल किया जाना चाहिए। चीन ने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वायु सेना को तैयार कर लिया है। उसकी हवाई ताकत में पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के अलावा स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स और स्टील्थ ड्रोन भी शामिल हैं। इतना ही नहीं, दक्षिण चीन सागर में अमेरिका की बढ़ती उपस्थिति को देखते हुए ड्रैगन ने तो अपने लड़ाकू विमानों को एयरक्राफ्ट कैरियर किलर मिसाइलों से भी लैस कर दिया है। नवंबर में जारी चीन की सेना पर अमेरिकी रक्षा विभाग की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (पीएलएएएफ) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (पीएलएएन) के पास अब इस क्षेत्र में सबसे बड़ी और दुनिया में तीसरे नंबर की हवाई ताकत है।
पेंटागन का अनुमान है कि चीन के पास वायु सेना और नौसेना को मिलाकर लगभग 2,800 विमान हैं, जिनमें ड्रोन और ट्रेनर विमान शामिल नहीं हैं। उनमें से लगभग 2,250 डेडिकेटेड कॉम्बेट एयरक्राफ्ट हैं, जिनमें 1,800 लड़ाकू विमान शामिल हैं। इनमें से लगभग 800 चौथी पीढ़ी के जेट माने जाते हैं। चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में स्टील्थ कैपिसिटी नहीं होती है। इसमें यह भी बताया गया है कि चीनी वायु सेना ने हाल के वर्षों में क्षेत्रीय एयर डिफेंस को छोड़कर आक्रामक और रक्षात्मक भूमिका के लिए खुद को तैयार किया है। वह लंबी दूरी तक मार करने वाली हवाई ताकत को बनाने के लिए काम कर रहा है।
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीएलए को दिया आदेश- सभी हथियारों का युद्ध परीक्षण करे सेना