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पटियाला में कैप्टन के लिए इतनी आसान भी नहीं राह, प्रतिष्ठा दांव पर लगी 

पटियाला में कैप्टन के लिए इतनी आसान भी नहीं राह, प्रतिष्ठा दांव पर लगी 

चंडीगढ़ । पंजाब में 20 फरवरी के चुनाव होने है और इस बार यहां मुकाबला भी बहुकोणीय दिख रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके समर्थकों के लिए यह चुनाव बहुत ही अलग साबित हो रहा है। 1998 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद से पटियाला शहर में कैप्टन अमरिंदर सिंह से ज्यादा सियासी साख वाला कोई नहीं था। हालांकि इस बार कुछ बदलाव नजर आ रहा है। जिस सीट से कैप्टन अमरिंदर सालों से जीतते रहे वहां इस बार की जंग आसान नहीं लग रही है। राजघराने के मोतीबाग पैलेस में भी पहले वाली रौनक नहीं है। पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के बाकी इलाकों में प्रचार करने निकलते थे बावजूद इसके उनके मोतीबाग पैलेस में हजारों लोगों की भीड़ जमा रहती थी। आज इस महल में मुट्ठीभर समर्थक ही दिखाई देंगे। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब लोक कांग्रेस (पीएलसी) नाम की अलग पार्टी बना ली है और भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। 
अमरिंदर सिंह के एक सहयोगी ने ही बताया कि 50 साल लंबे राजनीतिक सफर में कैप्टन अमरिंदर सिंह की प्रतिष्ठा इस तरह दांव पर कभी नहीं लगी। अमरिंदर सिंह के सहयोगी बदल गए हैं इसलिए उनके भाषणों में भी बदलाव आ गया है। अब वह पाकिस्तान से चुनौती की जगह पर डबल इंजन की सरकार का जिक्र करने लगे हैं। वह अपने भाषणों में कहते हैं कि 2024 में एक बार फिर नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र में सरकार बनेगी इसलिए सोच समझकर वोट दीजिए ताकि राज्य को कर्जमुक्त कराया जा सके। वह सभी भाषणों में पीएम मोदी और अमित शाह का जिक्र करते हैं साथ ही उनकी जनसभाओं में 'जय श्री राम' के नारे लगते हैं। 
इस बार कैप्टन अमरिंदर सिंह को आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अजीतपाल सिंह कोहली से कड़ी टक्कर मिलने वाली है। अजीतपाल के पिता सुरजीत सिंह कोहली और दादा सुरदारा सिंह कोहली पटियाला से विधायक रह चुके हैं और अकाली सरकार में वह मंत्री भी रहे हैं। अजीतपाल ने कहा कि 2002 से ही कैप्टन और बादल के बीच फिक्स मैच चलता था। बादल कैप्टन अमरिंदर की सीट पर प्रचार नहीं करते थे इसीलिए मैं आम आदमी पार्टी में शामिल हो गया। मुझे शहर के लोगों को बड़ा समर्थन मिल रहा है। अब राजा महाराजाओं का युग खत्म हो गया है और आम जनता का समय आ गया है। जनता बदलाव चाहती है और उसके सामने केवल आम आदमी पार्टी का विकल्प है।
अजीतपाल की तरह ही कांग्रेस के उम्मीदवार विष्णु शर्मा भी मेयर रह चुके हैं। जब कैप्टन अमरिंदर कांग्रेस से बाहर हो गए तो वह कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए कैप्टन अमरिंदर ने इस शहर के लिए कुछ नहीं किया। कैप्टन अमरिंदर जनता से मिलते भी नहीं थे इसलिए लोग उनसे दूर हो चुके हैं। अकाली दल ने इस सीट से हरपाल जुनेजा को उतारा है जो कि एक वकील हैं और पार्टी के सीनियर नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के पुराने साथी हैं। जुनेजा परिवार सामाजिक कार्यों के लिए जाना जाता है और उनके साथ भी बड़ा जनसमर्थन है। पिछले साल जून से ही उन्होंने प्रचार करना शुरू कर दिया था और पूरा शहर पैदल ही नाप दिया। वह शहर के विकास और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वोट मांग रहे हैं।  
 

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