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 28 बैंक घोटाले के शिकार, कांग्रेस ने पूछा मोदी चुप क्यों

 28 बैंक घोटाले के शिकार, कांग्रेस ने पूछा मोदी चुप क्यों

नई दिल्ली । एबीजी शिपयार्ड बैंक धोखाधड़ी में मामले में जहां सियासत गरम हो गई है वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि बैंकों ने कम समय में घोटाले को पकड़ लिया। कांग्रेस ने मोदी की चुप्पी पर सवाल किया है।जांच एजेंसी सीबीआई का कहना है कि एबीजी शिपयार्ड और उसके पूर्व अध्यक्ष ऋषि कमलेश अग्रवाल, संथनम मुथुस्वामी और अश्विनी अग्रवाल ने बैंकों से 22 हजार करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की है। इन पर एसबीआई की अगुवाई वाले 28 बैंकों के संघ से धोखाधड़ी का आरोप है। इसे देश के इतिहास का सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी मामला भी बताया जा रहा है। एबीजी शिपयार्ड और उसकी फ्लैगशिप कंपनी जहाजों के निर्माण और उनकी मरम्मत का कारोबार करती है। धोखाधड़ी की कुल राशि 22,842 करोड़ रुपये है। एबीजी शिपयार्ड गुजरात के दाहेज और सूरत में स्थित हैं। एसबीआई की शिकायत के मुताबिक, कंपनी ने उससे 2925 करोड़ रुपये कर्ज लिया था। जबकि आईसीआईसीआई बैंक से 7089 करोड़, आईडीबीआई से 3634 करोड़ से, बैंक ऑफ बड़ौदा से 1614 करोड़, पीएनबी से 1244 करोड़ और आईओबी से 1228 करोड़ रुपये का बकाया है। एसबीआई की शिकायत के बाद सीबीआई ने 7 फरवरी को दर्ज केस के सिलसिले में कंपनी और उसके निदेशकों के ठिकानों पर छापे मारे थे और कई दस्तावेज जब्त किए थे। पैसे के गलत इस्तेमाल का आरोप फॉरेंसिक ऑडिट से यह बात सामने आई है कि साल 2012-2017 के बीच आरोपियों ने कथित रूप से मिलीभगत कर पैसे का गलत इस्तेमाल किया। आरोपियों ने कर्ज किसी और मकसद से लिया और उसका इस्तेमाल किसी काम के लिए किया। बैंकों की ओर से कंपनी के खाते 2016 में एनपीए और 2019 में "फ्रॉड अकाउंट" घोषित किए गए। वहीं केस दर्ज देरी से कराने के सवाल पर एसबीआई का कहना है कि उसने केस दर्ज कराने में कोई देरी नहीं की। कांग्रेस ने पूछा है कि केंद्र ने घोटाले की चेतावनी के आरोपों पर ध्यान देने से इनकार क्यों किया। एसबीआई का कहना है कि धोखाधड़ी को फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर घोषित किया जाता है। निजी कंपनियों के फायदे के लिए खड़ा किया गया कोयला संकट? केंद्र का जवाब इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि एबीजी शिपयार्ड को कर्ज देने में शामिल बैंकों के कंसोर्टियम ने धोखाधड़ी के मामले को पकड़ने में औसत से कम वक्त लिया है।
 

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