नई दिल्ली । पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले सूबे में राजनीतिक पारा चरम पर है। तमाम राजनीतिक पार्टियां वोटरों से खुद को जोड़ने के लिए तमाम तिकड़म इस्तेमाल कर रही हैं। पंजाब में जितने अहम जातीय समीकरण हैं, उतना ही दबदबा डेरों का भी है, जिनके करोड़ों अनुयायी हैं। इसके अलावा डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिलने को भी राजनीतिक दल डेरा वोट बैंक से जोड़कर देख रहे हैं। बीते दिनों पीएम नरेंद्र मोदी राधा स्वामी डेरा के प्रमुख से मुलाकात की थी। इसके बाद सोमवार देर रात पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी नकोदर के आशुतोष डेरा से मिलने पहुंचे। कांग्रेस के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पिछले दिनों जालंधर के डेरा बल्ला में रात गुजारते नजर आए थे तो सोमवार देर रात चरणजीत सिंह चन्नी नूर महल में दिव्य ज्योति नाम से मशहूर डेरे में पहुंचे। अगर इस डेरे की बात की जाए तो नकोदर, जालंधर और नूर महल के आसपास के एरिया में इस डेरे का अच्छा प्रभाव है। पंजाब में राजनीति डेरावाद से पूरी तरह गर्माई हुई है। हर पार्टी के नुमाइंदों की डेरा प्रमुखों से बातचीत हो रही है। पिछले दिनों जब डेरा सिरसा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को फरलो दी गई तो लोगों ने सवाल उठाया कि उसे फरलो इसलिए दी क्योंकि बीजेपी का पंजाब के मालवा एरिया में फायदा हो सके, क्योंकि पंजाब के मालवा एरिया में डेरा सिरसा का अच्छा प्रभाव है। वहीं बात डेरा ब्यास की करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेरा ब्यास के मुखी के साथ एक तस्वीर शेयर की जिससे एक इशारा मिलता हुआ नजर आया कि डेरा ब्यास बीजेपी को समर्थन दे रहा है। पंजाब में 6 ऐसे डेरे हैं, जिनके न सिर्फ लाखों-करोड़ों लोग अनुयायी हैं बल्कि इनका राजनीति रसूख भी है। पंजाब में एक चौथाई आबादी किसी न किसी डेरे से ताल्लुक रखती है। ये डेरे हैं- डेरा सच्चा सौदा, राधा स्वामी सत्संग ब्यास, नूरमहल डेरा (दिव्य ज्योति जागृति संस्थान), संत निरंकारी मिशन, नामधारी संप्रदाय और डेरा सचखंड बल्लां। ये डेरे बेहद प्रभावशाली हैं और चुनाव के दौरान 68 विधानसभा क्षेत्रों में अपना असर रखते हैं। जबकि 30-35 सीटें ऐसी हैं, जहां ये किसी प्रत्याशी का खेल बना और बिगाड़ सकते हैं। पंजाब की आबादी 2.98 करोड़ है। इनमें से करीब 53 लाख वोटर ऐसे हैं, जो डेरों को मानते हैं।
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वोटिंग से पहले डेरों को साधने का दांव, नूरमहल डेरा पहुंचे मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह