बुंदेलखंड । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दूसरे दौर के मतदान में भी पिछली बार की तुलना में लगभग तीन फीसदी की कमी दर्ज की गई है। इसके बाद सभी राजनीतिक दल सतर्क हो गए हैं। सत्ता पक्ष व विपक्ष के अपने-अपने अनुमान हैं। हालांकि इस बीच आने वाले चरणों के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष ने कमर कसनी शुरू कर दी है। अगला तीसरे चरण का चुनाव राज्य के बुंदेलखंड और यादव समुदाय बहुल क्षेत्रों में होना है। उत्तर प्रदेश के सियासी अंकगणित के विश्लेषक भी मतदान के शुरुआती दो चरणों में लगभग तीन फ़ीसदी की कमी को काफी महत्वपूर्ण मान रहे हैं, क्योंकि इस बार सामाजिक समीकरण भी बदल सकते हैं और राजनीतिक ध्रुवीकरण भी नया हो सकता है। चुनाव मैदान में सत्ता पक्ष भाजपा और विपक्ष सपा के मुख्यमंत्री पद के चेहरे भी सामने हैं। दो प्रमुख दल कांग्रेस और बसपा कमजोर है। ऐसे में भाजपा और सपा के बीच दोनों दलों के साथ नेतृत्व करने वाले चेहरों की भी लड़ाई है। इस बार हर चरण की लड़ाई का विश्लेषण भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि पिछली बार की तुलना में इस बार काफी चीजें बदली हैं। पिछली बार भाजपा ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा था और बाद में योगी आदित्यनाथ को जीत के बाद मुख्यमंत्री चुना गया था। जबकि इस बार भाजपा के चेहरे के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद हैं और विपक्ष में सपा में भी अखिलेश यादव मुख्यमंत्री पद के स्पष्ट चेहरे हैं। दो चरणों को लेकर राजनीतिक दलों ने जो दावे किये हैं उसमें उन्हें कहीं नुकसान तो कहीं ना लाभ दिख रहा है। तीसरे चरण का चुनाव बुंदेलखंड व यादव समुदाय बहुल क्षेत्रों में है। बुंदेलखंड में पिछली बार भाजपा ने विपक्ष का लगभग सूपड़ा साफ करते हुए भारी सफलता हासिल की थी। इस बार विपक्ष इस स्थिति को बदलने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा ने तीसरे चरण के लिए अपने मध्य प्रदेश के कुछ प्रमुख नेताओं को प्रचार प्रबंधन में उतारने का फैसला किया है, जो बुंदेलखंड क्षेत्र में जुटेंगे। हालांकि इस बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कोरोना संक्रमित होने कारण उनकी सभाएं नहीं हो सकेंगी, हालांकि वह वर्चुअल माध्यम से प्रचार कर सकते हैं। गौरतलब है कि चौहान पिछड़ा वर्ग से आते हैं।
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दूसरे चरण में भी कम वोटिंग ने राजनीतिक दलों की उड़ाई नींद